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PM Modi in Gujarat: केवड़िया में अब सरदार पटेल की मूर्ति ही नहीं भूलभुलैया पार्क और मियावाकी वन भी, PM मोदी के पर्यटन विजन का है कमाल

PM Modi in Gujarat: इस उद्यान की गूढ़ सड़कों से होकर घूमने से पर्यटकों के मन, शरीर और इंद्रियों के लिए चुनौती बनेगी। जबकि, उन्हें बाधाओं पर विजय का एहसास भी ये पार्क दिलाएगा। साथ ही इससे रोमांच की भावना भी आएगी। इस भूलभुलैया गार्डन के पास 180000 पौधे लगाए गए हैं। इनमें संतरा, जेमिन, मधु कामिनी, ग्लोरी बोवर और मेहंदी शामिल हैं। ये जगह मूल रूप से मलबे के लिए डंपिंग साइट थी, जो अब एक हरे-भरे नजारे में बदल गई है।

केवड़िया। गुजरात के केवड़िया में करीब 4 साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया था। दुनिया में ये सबसे बड़ी प्रतिमा है। यहां हर साल लाखों की तादाद में लोग आते हैं। जब इस प्रतिमा का अनावरण हुआ था, तो विपक्षी दलों ने इसे सिर्फ एक मूर्ति मानकर तमाम सवाल खड़े किए थे, लेकिन उनको ये पता नहीं था कि इस प्रतिमा के पीछे पीएम मोदी का बड़ा विजन और प्लान छिपा है। ये विजन और प्लान गुजरात में पर्यटकों को आकर्षित करने का है। नतीजा ये है कि अब तक 80 लाख लोग केवड़िया आकर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देख चुके हैं। गुजरात के केवड़िया में और भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आज पीएम मोदी दो और प्रोजेक्ट्स की शुरुआत करने वाले हैं। इनमें से एक भूलभुलैया पार्क और दूसरा मियावाकी वन है।

2100 मीटर के रास्ते के साथ तीन एकड़ में फैला, यह देश का सबसे बड़ा भूलभुलैया उद्यान है और इसे 8 महीने की छोटी अवधि में तैयार किया गया है। केवड़िया में भूलभुलैया उद्यान को ‘यंत्र’ के आकार में बनाया गया है। जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इस डिजाइन को चुनने का उद्देश्य पथों के जटिल नेटवर्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक समरूपता लाना था।

इस उद्यान की गूढ़ सड़कों से होकर घूमने से पर्यटकों के मन, शरीर और इंद्रियों के लिए चुनौती बनेगी। जबकि, उन्हें बाधाओं पर विजय का एहसास भी ये पार्क दिलाएगा। साथ ही इससे रोमांच की भावना भी आएगी। इस भूलभुलैया गार्डन के पास 180000 पौधे लगाए गए हैं। इनमें संतरा, जेमिन, मधु कामिनी, ग्लोरी बोवर और मेहंदी शामिल हैं। ये जगह मूल रूप से मलबे के लिए डंपिंग साइट थी, जो अब एक हरे-भरे नजारे में बदल गई है। इस बंजर जमीन के कायाकल्प से न सिर्फ आसपास शानदार नजारे दिख रहे हैं, बल्कि जीवित पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने में भी मदद मिली है।

केवड़िया के एकता नगर आने वाले लोगों के लिए मियावाकी वन एक और पर्यटक आकर्षण होगा। इस जंगल का नाम जापानी वनस्पतिशास्त्री और पारिस्थितिकी विज्ञानी डॉ. अकीरा मियावाकी की तकनीकी के नाम पर रखा गया है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे एक-दूसरे के करीब लगाए जाते हैं। इस तकनीकी से पौधों की वृद्धि 10 गुना तेज होती है। इससे वन 30 गुना अधिक सघन होता है। मियावाकी पद्धति के जरिए किसी जंगल को 2 से 3 साल में विकसित किया जा सकता है। जबकि पारंपरिक पद्धति से वन तैयार करने में कम से कम 20 से 30 साल लगते हैं। मियावाकी वन में मूल फूलों का पार्क, इमारती लकड़ी का बगीचा, फलों का बगीचा, औषधीय पौधों का उद्यान, मिश्रित प्रजातियों का एक मियावाकी खंड और डिजिटल ओरिएंटेशन सेंटर तैयार किया गया है।

यहां तैयार अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों में टेंट सिटी, थीम आधारित पार्क जैसे आरोग्य वन (हर्बल गार्डन), बटरफ्लाई गार्डन, कैक्टस गार्डन, विश्व वन, फूलों की घाटी (भारत वन), यूनिटी ग्लो गार्डन, चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क, जंगल सफारी भी बनाए गए हैं। इससे भी पर्यटकों को यहां आने और घूमने में काफी दिलचस्पी लगती है। कुल मिलाकर ये पीएम मोदी का विजन और उनकी नजरों के बीच गुजरात सरकार का काम है, जिसने दुनिया में गुजरात को सबसे समृद्ध राज्य का दर्जा दिलाया है।