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आंदोलन खत्म करने को लेकर पीएम मोदी की बड़ी पहल, किसानों से अपील में कहा- ‘आइए बैठ कर चर्चा करें’

PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रिकार्ड उत्पादन के बावजूद हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं। इनका समाधान हम सबको मिलकर करना है। हर कानून में दो, पांच साल के बाद सुधार करने ही पड़ते हैं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है। पीएम मोदी ने किसानों से मिल बैठकर चर्चा पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने इसमें विपक्ष का भी सहयोग मांगा है। प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा है कि हमें सुधारों को मौका देना चाहिए। एक बार देखना चाहिए कि कोई लाभ होता है या नहीं। अगर कोई कमी होगी तो आगे ठीक की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में अपील करते हुए कहा, हमें आंदोलनकारियों को समझाते हुए देश को आगे ले जाना होगा। आओ मिलकर चलें। कृषि मंत्री लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं। और अभी तक कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है। एक दूसरे को बात समझाने का प्रयास चल रहा है। हम लगातार आंदोलन से जुड़े लोगों से प्रार्थना कर रहे हैं कि आंदोलन खत्म करिए और मिल बैठकर चर्चा करते हैं।

PM Narendra Modi

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये बात निश्चित है कि हमारी खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का ये समय है। इस समय को हमें गंवा नहीं देना चाहिए। हमें देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए। पक्ष हो या विपक्ष, इन सुधारों को हमें मौका देने चाहिए। एक बार देखना चाहिए कि इन परिवर्तन से लाभ होता है या नहीं। कोई कमी है तो ठीक करेंगे, कहीं ढिलाई है तो उसे कसेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी नई चीज आती है तो असमंजस की स्थिति होती है। हरित क्रांति के समय जो कृषि सुधार हुए, तब भी आशंकाएं हुईं, सख्त फैसले लेने के दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री का हाल ये था कि उनकी सरकार में कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। लेकिन, देश की भलाई के लिए शास्त्री आगे बढ़े। तब भी आरोप लगे थे कि अमेरिका के इशारे पर शास्त्री जी ये कर रहे हैं।

PM Narendra Modi

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रिकार्ड उत्पादन के बावजूद हमारे कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं। इनका समाधान हम सबको मिलकर करना है। हर कानून में दो, पांच साल के बाद सुधार करने ही पड़ते हैं। जब अच्छे सुझाव आते हैं तो अच्छे सुधार होते हैं। यही लोकतंत्र की परंपरा है।