“सब याद रखा जाएगा…” के जवाब में कविता “तुमसे सब याद रखा जाएगा?…” वायरल, आप भी सुनें

सोशल मीडिया पर एक और कविता वायरल हो रही है जिसमें आमिर अजीज की उस कविता का जवाब दिया गया है। पहले आप उस कविता को सुनिए…जिसमें लिखा गया है “तुमसे सब याद रखा जाएगा?…”

Avatar Written by: March 9, 2020 3:46 pm

नई दिल्ली। 16 फरवरी को मुंबई में ‘इंडिया, माय वेलेंटाइन’ कार्यक्रम में आमिर अजीज ने अपनी कविता “सब याद रखा जाएगा…सब कुछ याद रखा जाएगा” की प्रस्तुति दी तो इसे The Quint ने अपने पेज पर जगह दी। इस कविता वाली वीडियो को खूब वायरल किया गया। अब इस कविता के जवाब में सोशल मीडिया पर एक और कविता वायरल हो रही है जिसमें आमिर अजीज की उस कविता का जवाब दिया गया है। पहले आप उस कविता को सुनिए…जिसमें लिखा गया है “तुमसे सब याद रखा जाएगा?…


इसके जवाब में जो कविता लिखी गई है वह इस प्रकार है। आप भी पढ़िए इस कविता में क्या कहा गया है। आमिर अजीज ने अपनी कविता में जिक्र किया है कि यह कविता कश्मीर, एएमयू, जामिया, यूपी, जेएनयू, दिल्ली जैसे हर हिस्से के लिए है जहां अंधेरे में लोगों पर जुल्म ढाया गया। अजीज इस कविता को पढ़ने से पहले कहते हैं कि यह कविता उन सभी जगहों के लिए है जहां अंधेरे की आड़ में कायरों ने हम पर अत्याचार किए। इसी के जवाब में लिखी गई इस कविता में कवि कहता है कि हां यह कविता कश्मीर, एएमयू, जामिया, यूपी, जेएनयू, दिल्ली जैसे हर हिस्से के लिए है जहां केवल अपने को पीड़ित बताकर लगातार एक कौम के लोगों ने सारे प्रपंच रचे।

क्या तुमसे सब याद रखा जाएगा?
हम तो भूल जाते हैं सब
पर क्या तुमसे सब याद रखा जाएगा?
तुमने कहा हम कम थे
हमने कहा तुम हम थे
डर ना तुमको था हमसे
ना हमको डर था तुमसे
हम दोनों साथ खड़े थे
साथ लड़े थे, दुश्मन बड़े थे
हम फिर भी अड़े थे
आजादी के कई नारे गढ़े थे
पर कुछ सियासतगर्दों ने
थोड़ी जमीं का लालच देकर
सपने कई दिखाए थे
हम तो भूल जाते हैं सब
पर क्या तुमसे सब याद रखा जाएगा?
उस रात के दो हिस्से थे
तुम्हारे और हमारे दर्द के अलग-अलग किस्से थे
हम बंट गए, हम छंट गए
जो सह गए, वह रह गए
कुछ बस गए, कुछ चल बसे
अब हम वहां कुछ कम थे
और तुम यहां कुछ कम थे
संविधान के आसमां तले
तुम जब यहां बढ़ रहे थे
धर्म हमें वहां तोड़ रहा था
हम वहां सिमट रहे थे
क्या ऐसी आजादी को भी याद रखा जाएगा?
ये कैसी अधूरी आजादी
ये कैसे दोगले वादे थे
आवाज दो हम एक हैं
पर नेक कहां इरादे थे
तुम झुंड़ बनाकर फैल गए
और झुंड़ों में बस जाते थे
झुंड का अपना झंड़ा था
कभी हाथ में पत्थर, कभी हाथ में पैट्रोल बम
और कभी हाथ में डंडा था
आखिर क्यूं उन्हें बचाते थे
जो आतंक फैलाने आते थे
मेरे भगवान की आड़ में तुमने कितने घर जलाए थे
तुम हमपर कब्जा करने आए थे
ना जाने क्या-क्या दफनाए थे
हम जब-जब वहां से गुजरे थे
तुम्हारी उन आंखों से बचते थे
बर्बाद थे वो माहौल, वो मोहल्ले, वो हल्ले
अब देखो सब टल जाएगा
हम तो भूल जाते हैं सब
पर क्या तुमसे सब याद रखा जाएगा?
अपनी मांग की आड़ में, तुम दंगे रचे जा रहे थे
तुम्हारी बगावत ही सियासत है
अब फिर सब बंट जाएगा
एक फर्जी दहशत का पर्चा लिए
कभी आसमां कभी जमीं कभी दिवार
और अखबार पर चिपकाते हो
जहां तुम पढ़ने जाते हो
वहां सिर्फ अपना पाठ पढ़ाते हो
तुम हमको कोस रहे हो अंदर ही अंदर सोच रहे हो
तुम ये लिखो हम वो लिखेंगे, क्यूं?
सिर्फ आधा लिखा जाएगा?
कहीं सड़क पर बैठ जाओ, ऐसी तुमको आजादी
तुम छत से गुलेल चलाओ, ये किस बात की बर्बादी
अपने शोर में बहरे हो, तुम फिर से चाहते आजादी?
अब और कैसी आजादी?
लोकतंत्र भी वही है, और वही है संविधान
इस खलबली की बस एक ही जड़, इस देश का नया प्रधान
तुम पूछोगे जब हमसे, जब हमें सब याद रह जाएगा
तो भला तुम कैसे भूल पाओगे?
जवाब हमारा यही रहेगा
तुम सुबह के भूले हो, सियासत की सबसे मजबूत कमजोरी हो
तुम सुबह के ऐसे भूले हो, शाम में लौटो या रात में
तुम जब भी लौटकर आओगे भूले ही कहलाओगे
हम फिर भी तुमको अपनाएंगे
हम सब भूल जाएंगे
अगर इससे भी ना बात बने
तो जब-जब सब याद रखा जाएगा
तुम पूछना सबसे देखना हर जगह
और जब तुम्हें वो कागज मिल जाएगा
और संभल जाएं वो कागज
हमें आकर तुम बताना
तब हम भी लिख लेंगे कहीं
ताकि फिर कोई भूल ना पाएगा
हम भी सीना तान कहेंगे
सब याद रखा जाएगा, सब याद रखा जाएगा
तुम्हारी बगवात ही सियासत है
सब याद रखा जाएगा

Amir Aziz Jamia

आप आमिर अजीज की इस कविता को सुनिए तो आपको लगेगा कि यह समाज के एक तबके को विक्टिम बताकर लिखी गई। इस कविता के जरिए भारत में हाल ही के दिनों में जैएनयू, जामिया, एएमयू, जम्मू-कश्मीर में हुए वारदातों में एक कौम को पीड़ित के तौर पर पेश किया गया है। इस कविता को तो The Quint ने अपने पेज पर जगह दी। लेकिन इसके जवाब में जो कविता लिखी गई उसको The Quint अपने पेज पर जगह नहीं देगा।


आमिर अजीज की पूरी कविता इस प्रकार है।
तुम स्याहियों से झूठ लिखोगे हमें मालूम है

हो हमारे खून से ही हो सही, सच जरूर लिखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

मोबाइल, टेलीफोन, इंटरनेट भरी दोपहर में बंद करके

सर्द अंधेरी रात में पूरे शहर को नजरबंद करके

हथौड़ियां लेकर दफअतन मेरे घर में घुस आना

मेरा सर बदन मेरी मुख्तसर सी जिंदगी को तोड़ जाना

मेरे लख्त-ए-जिगर को बीच में चौराहे पर मार कर

यूं बेअंदाज खड़े होकर झुंड में तुम्हारा मुस्कुराना

सब याद रखा जाएगा

सब कुछ याद रखा जाएगा

दिन में मीठी-मीठी बातें करना सामने से

सब कुछ ठीक है हर जुबां में तुतलाना

रात होते ही हक मांग रहे लोगों पर लाठियां चलाना, गोलियां चलाना

हम ही पर हमला करके हम ही को हमलावर बताना

सब याद रखा जाएगा

मैं अपनी हड्डियों पर लिखकर रखूंगा ये सारे वारदात

तुम जो मांगते हो मुझसे मेरे होने के कागजात

अपनी हस्ती का तुमको सबूत जरूर दिया जाएगा

ये जंग तुम्हारी आखिरी सांस तक लड़ा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

ये भी याद रखा जाएगा कि किस तरह तुमने वतन को तोड़ने की साजिशें की

ये भी याद रखा जाएगा कि किस जतन से हमने वतन को जोड़ने की ख्वाहिशें की

जब कभी भी जिक्र आएगा जहां में दौर-ए-बुजदिली का तुम्हारा काम याद रखा जाएगा

जब कभी भी जिक्र आएगा जहां में दौर-ए-जिंदगी का हमारा नाम याद रखा जाएगा

कि कुछ लोग थे जिनके इरादे टूटे नहीं थे लोहे की हथौड़ियों से

कि कुछ लोग थे जिनके जमीर बिके नहीं थे इजारदारों की कौड़ियों से

कि कुछ लोग थे जो टिके रहे थे तूफान-ए-नू के गुजर जाने के बाद तक

कि कुछ लोग थे जो जिंदा रहे थे अपने मौत की खबर आने के बाद तक

भले भूल जाए पलक आंखों को मूंदना

भले भूले जमीं अपनी धूरी पर घूमना

हमारे कटे परों की परवाज को

हमारे फटे गले की आवाज को

याद रखा जाएगा

तुम रात लिखो, हम चांद लिखेंगे

तुम जेल में डालो, हम दीवार फांद लिखेंगे

तुम FIR लिखो, हम तैयार लिखेंगे

तुम हमें कत्ल कर दो, हम बनके भूत लिखेंगे, तुम्हारी कत्ल के सारे सबूत लिखेंगे

तुम अदालतों से बैठकर चुटकुले लिखो

हम सड़कों, दीवारों पर इंसाफ लिखेंगे

बहरे भी सुन लें, इतनी जोर से बोलेंगे

अंधे भी पढ़ लें, इतना साफ लिखेंगे

तुम काला कमल लिखो

हम लाल गुलाब लिखेंगे

तुम जमीं पर जुल्म लिख दो

आसमां पर इंकलाब लिखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

सब कुछ याद रखा जाएगा

ताकि तुम्हारे नाम पर ताउम्र लानतें भेजी जा सके

ताकि तुम्हारे मुजस्समों पर कालिखें पोती जा सके

तुम्हारे नाम तुम्हारे मुजस्समों को आबाद रखा जाएगा

सब याद रखा जाएगा

सब कुछ याद रखा जाएगा