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BBC Documentary: बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर DU में बवाल, हिरासत में 24 छात्र, धारा 144 भी लागू, भारी संख्या में पुलिस की तैनाती

BBC Documentary: इससे पहले जामिया और जेएनयू में भी डॉक्यूमेंट्री को लेकर छात्रों द्वारा विरोध किए जाने का प्रकरण प्रकाश में आया था। छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से बिजली गुल कर दी गई थी, ताकि डॉक्यूमेंट्री ना देख सकें। जिसके बाद छात्र ने लेपटॉम पर डॉक्यूमेंट्री देखते दिखे।

नई दिल्ली। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। देश के मुख्तलिफ विश्वविद्यालय के वामपंथी छात्र संगठन आगे आकर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की पैरोकारी कर रहे हैं। सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के कदम को अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात बता रहे हैं, जबकि इसके इतर दक्षिणपंथी गुटों के छात्र नेताओं का कहना है कि जब गोधरा कांड में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की सर्वोच्च अदालत की तरफ से क्लीनचिट दी जा चुकी है, तो ऐसे में डॉक्यूमेंट्री का कोई मतलब नहीं है? क्या ऐसे लोगों को सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा नहीं है? वहीं, विरोधी जमात में शुमार लोगों का कहना है कि मसला महज मुखालफत का नहीं, बल्कि मसला यह है कि जब नरेंद्र मोदी को देश की सर्वोच्च अदालत की तरफ से क्लीनचिट दी जा चुकी है, तो डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने का क्या अर्थ है। बहरहाल, इन सवालों के बीच अब देश के सभी विश्वविद्यालय राजनीतिक दंगल में तब्दील हो चुके हैं।

पहले जेएनयू, फिर जामिया और अब दिल्ली यूनिवर्सिटी से खबर है कि कई छात्रों को बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने पर हिरासत में ले लिया गया है। अब तक 24 छात्रों को हिरासत में लिए जाने की खबर है। यह सभी छात्र डॉक्यूमेंट्री देखने की जिद्द पर अड़े थे, जबकि यूनिवर्सिटी की तरफ से बयान जारी किया जा चुका था कि सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की इजाजत नहीं है, लेकिन खबर है कि छात्रों ने यूनिवर्सिटी के निर्देशों को सिरे से खारिज कर दिया और डॉक्यूमेंट्री देखने पर अड़ गए, जिसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस अब तक 24 लोगों को हिरासत में ले चुकी है।

साथ ही पुलिस ने कहा कि अभी नॉर्थ कैंपस में विगत 20 दिसंबर से धारा 144 लागू है, जिसे देखते हुए पुलिस की तरफ से छात्रों से अपील की गई थी कि वे नियमों का उल्लंघन ना करें, लेकिन जब छात्र नहीं माने तो उन्हें हिरासत में लिया गया। इस बीच छात्र नारे लगाते हुए भी दिखे। साथ ही कई छात्रों ने मीडियाकर्मियों द्वारा पूछा कि जब उक्त डॉक्यूमेंट्री को सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया जा चुका है, तो आप लोग इसे ही देखने पर क्यों अड़े हैं।

इस पर छात्रों ने कहा कि हमें क्या देखना है और क्या नहीं। यह तय करने वाली सरकार नहीं, बल्कि हम हैं। इस बीच छात्र अभिव्यिक्त की आजादी की दुहाई देते हए भी दिखे। वहीं, पुलिस ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि इन छात्रों को कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की वजह से हिरासत में लिया गया है। वहीं, किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले जामिया और जेएनयू में भी डॉक्यूमेंट्री को लेकर छात्रों द्वारा विरोध किए जाने का प्रकरण प्रकाश में आया था। छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से बिजली गुल कर दी गई थी, ताकि डॉक्यूमेंट्री ना देख सकें। जिसके बाद छात्र ने लेपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखते दिखे। जिसके बाद पुलिस ने हंगामा करने में संलिप्त चार छात्रों को हिरासत में लिया जा चुका है।

इससे पहले जेएनयू में भी छात्रों द्वारा डॉक्यूमेंट्री को लेकर विरोध किए जाने का प्रकरण प्रकाश में आया था। इस बीच वामपंथी छात्रों ने दक्षिणपंथी नेताओं पर पथराव करने का आरोप भी लगाया था, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों से भी प्रतिक्रियाओं की बयार बही थी। उधर, देश के कई विश्वविद्यालय सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर चुके हैं।

ध्यान रहे कि बीबीसी द्वारा निर्मित INDIA: THE MODI QUESTON डॉक्यूमेंट्री गुजरात दंगों पर आधारित है। आरोप है कि इस डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी की गलत छवि पेश करने की कोशिश की गई है, जिसके बाद इस पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस डॉक्यूमेंट्री को ट्विटर और यूट्यूब से हटा लिया गया है।

उधर, विदेशों में भी बीबीसी द्वारा बनाए गए इस डॉक्यूमेंट्री की प्रवासी भारतीयों द्वारा आलोचना की जा रही है। यहां तक की बीते दिनों ब्रिटिश सांसद ने भी बीबीसी के इस कदम की आलोचना की थी। बहरहाल, अभी इस पूरे मसले को लेकर सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला जारी है। अब ऐसे में आगामी दिनों में यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।