नई दिल्ली। बीते शुक्रवार को देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा की सीमा सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर एक दलित युवक लखबीर सिंह (Lakhbir Singh) की हत्या (Murder) कर दी गई थी। लखबीर सिंह के हाथ को काट दिया गया था। शनिवार शाम 6:40 पर सिंघु बॉर्डर पर मारे गए लखवीर सिंह का पार्थिव शरीर तरनतारन जिले में उनके गांव चीमा पहुंची। जिस एंबुलेंस में बॉडी लाई गई, उसे सीधे गांव के श्मशान घाट ले जाया गया। एंबुलेंस के पहुंचने के महज 10 मिनट बाद ही शव को चिता पर लिटाकर आग लगा दी गई। खबर तो ये भी है कि पोस्टमार्टम के बाद जिस प्लास्टिक में बॉडी को पैक किया गया था उसे तक नहीं निकाला गया!
शव को जलाने के लिए उसकी पत्नी जसप्रीत कौर, बहन राज कौर और दूसरे रिश्तेदारों को श्मशान घाट पर ही बुला लिया गया। जैसे ही बॉडी एंबुलेंस से उतारी गई उसे सीधे चिता पर लेटा दिया गया। जल्दबाजी इतनी की अंतिम संस्कार के दौरान न कोई अरदास की गई और न ही जिस पॉलीथिन में लखबीर सिंह को बंद करके लाया गया उसे खोला गया। पत्नी जसप्रीत कौर समेत उनके परिवार के सदस्यों को लखबीर सिंह का चेहरा तक नहीं दिखाया गया। पत्नी जसप्रीत कौर ने कई बार कोशिश की, लेकिन फिर भी उसे आखरी बार पति का चेहरा नहीं दिखाया गया।
चिता पर घी की जगह बोतल से डाला गया डीजल
आमतौर पर पोस्टमॉर्टम के बाद जिस पॉलीथिन में बॉडी लपेटी जाती है, उसे शव जलाने के दौरान हटाया जाता है। साथ ही चिता की लकड़ियां आग अच्छे और जल्दी पकड़े ऐसे में शव के उपर घी डाला जाता है। लेकिन लखबीर सिंह की चिंता को जलाने की जल्दी में न तो शव से पॉलीथिन हटाया गया और शव जल्द जलकर राख हो जाए इसके लिए बोतल से उसपर डीजल डाला गया। चिता को अग्नि देने का पूरा काम बॉडी श्मशान घाट लाए जाने के बाद महज 10 मिनट में ही कर दिया गया।
घाट में पर्याप्त रोशनी भी नहीं
जिस दौरान घाट में दाह संस्कार किया जा रहा था वहां पर्याप्त रोशनी भी नहीं थी। ऐसे में लखबीर का अंतिम संस्कार मोबाइल की रोशनी में ही किया गया। तरनतारन के डीएसपी सुच्चा सिंह की अगुआई में भारी पुलिस बल तैनाती की गई थी। जिनकी मौजूदगी में ही शव का संस्कार किया गया। लेकिन यहां सोचने वाली बात ये है कि एक तरह जहां कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल यूपी के हाथरस कांड को लेकर हो हल्ला कर रहे थे। योगी सरकार से सवाल कर रही थी। इस मुद्दे पर राजनीति कर रही थी। डेथ बॉडी को लेकर धरने पर बैठ गयी थी! इस घटना के बाद मानों हाथरस, लखीमपुर, कानपुर की घटना पर छाती पीटने वालों लोगों की जुबान पर ताला लग गया। सवाल है कि जब किसान आन्दोलन में शामिल होने आये लखबीर सिंह की निर्मम हत्या कर दी गयी तो सभी दल, संगठन, नेता डीजल डालकर किए गए दाह संस्कार पर चुप क्यों है।
Lakhbir Singh, 35 year old Dalit Sikh, who was hacked to death, was hurriedly cremated in the dark of the night, using mobile torch lights, family not even allowed to see him one last time.
No dignity for the dead in Congress ruled Punjab, just because he happened to be a Dalit? https://t.co/zZRonby07r
— Amit Malviya (@amitmalviya) October 17, 2021
हालांकि भारतीय जनता पार्टी आईटीसेल के हेड अमित मालवीय ने ट्वीट रात में लखबीर सिंह के जल्दबाजी में किये अंतिम संस्कार पर सवाल उठाया है. अअमित मालवीय ने लिखा कि 35 साल के दलित सिख लखबीर सिंह की दिल्ली में पहले बेरहमी से हत्या कर दी गई. इसके बाद रात के अंधेरे में उनका आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया. उन्होंने लिखा कि परिवार के सदस्यों को लखबीर सिंह का चेहरा भी देखने नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह दलित था.