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पिछले महीने राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, अब दुनिया छोड़ गये पद्मश्री Nand Kishore Prusty, PM Modi भी हुए दुःखी

पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी का निधन मंगलवार 7 दिसंबर को हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। नंद किशोर प्रुस्टी की उम्र 104 वर्ष थी। हालांकि वे नंदा सर के नाम से प्रसिद्ध थे। खबरों की मानें तो दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर उनका निधन हुआ।

नई दिल्ली। हाल ही में एक तस्वीर खूब वायरल हुई थी। तस्वीर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एक भगवा वस्त्र धारण किये हुए बुजुर्ग को सम्मानित कर रहे थे। ये कोई और नहीं बल्कि पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी थे। जिन्होंने लगभग 70 सालों से बिना एक रुपया लिए बच्चों को फ्री शिक्षा देने का काम करते थे। उनके इसी नेक कार्य के चलते राष्ट्रपति ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। लेकिन अब पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी इस दुनिया में नहीं हैं। मंगलवार को उनका निधन हो गया. पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी के निधन पर पीएम मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने दुःख जताया है।

nand kishor prushti

आपको बता दें कि पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी का निधन मंगलवार 7 दिसंबर को हो गया। उन्होंने एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। नंद किशोर प्रुस्टी की उम्र 104 वर्ष थी। हालांकि वे नंदा सर के नाम से प्रसिद्ध थे। खबरों की मानें तो दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर उनका निधन हुआ। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले महीने ही उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी के निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि श्री नंदा प्रीति जी के निधन से आहत हूं। ओडिशा में शिक्षा की खुशियों को फैलाने के उनके प्रयासों के कारण बहुत सम्मानित “नंदा सर” को पीढ़ियों तक याद किया जाएगा। उन्होंने कुछ हफ्ते पहले पद्म पुरस्कार समारोह में देश का ध्यान और स्नेह आकर्षित किया था। शांति।

वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने भी दुःख जताया है। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि नन्द किशोर प्रीति जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्हें हाल ही में ओडिशा में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने में उनके अग्रणी योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। राष्ट्र इस महान आत्मा को उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए हमेशा याद रखेगा। शांति शांति

आपको जानकर हैरानी होगी कि खुद पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे। उन्होंने केवल सातवीं तक ही पढ़ाई की थी लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि वे अनपढ़ बच्चों को शिक्षित करते रहेंगे। उन्होंने पिछले 70 सालों से बिना एक रुपया इस लिए बच्चो को मुफ्त शिक्षा प्रदान करते रहे।