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Presidential Election: 2024 की तैयारियों में जुटीं ममता बनर्जी को तगड़ा झटका, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के सांसदों और विधायक ने ही धोखा देते हुए कि क्रॉस वोटिंग

Presidential Election: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने ये दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में भी क्रॉस वोटिंग हुई। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि टीएमसी के 2 सांसद और एक विधायक ने द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देते हुए वोट किया है।

नई दिल्ली। बीते दिन देश को नया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में मिल गया है। एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर राष्ट्रपति पद हासिल किया है। 4809 वोटों में से द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 2824 वोट तो वहीं, यशवंत सिन्हा को 1877 वोट मिले। राष्ट्रपति चुनाव में देखने वाली बात ये रही की एनडीए के अलावा अन्य दलों ने भी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया। इसके अलावा कई सांसद और विधायक ऐसे रहें जिन्होंने पार्टी लाइन से हटकर द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में मत डाला।

draupadi murmu

इस मतदान में सबसे बड़ा झटका पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए देखने को मिला। बता दें, आने वाले साल 2024 लोकसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी है। इस राष्ट्रपति चुनाव में भी ममता बनर्जी ने ही विपक्ष को एकमत करने के लिए तमाम दलों से बातचीत की थी। हालांकि, कई उम्मीदवारों के नाम पर विचार-विमर्श के बाद यशवंत सिन्हा का नाम तय हुआ। ध्यान हो कि कुछ समय पहले ही यशवंत सिन्हा टीएमसी में शामिल हुए थे। टीएमसी से इस्तीफा देकर ही सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भरा।

ममता की पार्टी में हुई क्रॉस वोटिंग

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने ये दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में भी क्रॉस वोटिंग हुई। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि टीएमसी के 2 सांसद और एक विधायक ने द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देते हुए वोट किया है। केवल इतना ही नहीं टीएमसी के 2 सांसदों और चार विधायकों के मत भी रद्द हुए हैं। अमित मालवीय ने आगे ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि खुद को विपक्षी एकता का आधार बताने वाली ममता बनर्जी अपने ही विधायक-सांसदों को समझने में असफल रहीं।