नई दिल्ली। “जैसे ही घर में दस्तक हुई तो मानो किसी सन्नाटे ने हमें अपनी जद में ले लिया…खामोश चेहरे बहुत कुछ बयां करने को बेताब हो रहे थे…उनके चेहरे ये बयां करने के लिए पर्याप्त थे कि उनके साथ कोई ठगी हुई है जिसका रोष वो व्यक्त करने के लिए आतुर हो रहे थे…आंखों की नमी उफान पर थी…कुछ बात करने की कोशिश की गई तो रूंधे गले से परिजनों ने बोलने की कुछ हिम्मत जुटाई”…इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये बातें किस संदर्भ में कही जा रही है….दरअसल, यह दृश्य था पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहिताश के घर का…जिसे हमने आपके समक्ष हर्फों में बयां किया है…रोहिताश आज से तीन साल पहले पुलवामा अटैक में वीरगति को प्राप्त हो गए थे। आज इस हमले के तीन साल होने के मौके पर रोहिताशा के पिता रूंधे हुए गले से अपने पुत्र को याद कर कहते हैं कि मुझे मेरे बेटे पर गर्व है कि उसने देश की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। लेकिन एक बात मेरे दिल को टीस पहुंचाती है कि गहलोत सरकार ने हमसे किया वादा अभी तक पूरा नहीं किया।
जैसे ही शहीद जवान रोहिताशा के पिता बाबू लाल ये सब बता रहे होते हैं तो मां घीसी देवी और शहीद की पत्नी मंजू देवी की आंखें नम हो गई। रोहिताशा के पिता अपने बेटे को याद करते हुए कहते हैं कि आज भी हमें अपने बेटे की याद सताती है, लेकिन मुझे गर्व है कि उसने अपने देश के लिए जान दी। वहीं, वे अपने पौते की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि अब तो यही हमारे जीवन का सहारा है। अब इसी के सहारे हमें अपनी बाकी की जिंदगी काटनी है। वे बताते हैं कि जब रोहिताशा वीरगति को प्राप्त हुए थे तो उस वक्त ध्रूव मात्र डेढ़ साल का था। आज वह तीन साल का हो चुका है। अब तो यही हमारे जीवन का सहारा है। वहीं मां घीसी देवी अपनी शहीद पुत्र को याद करती हुई कहती है कि आज भी मुझे ऐसा लगता है कि मेरा बेटा ड्यूटी पर गया हुआ है और बहुत जल्द ही लौट आएगा। जैसे किसी भी वक्त उसकी दस्तक चौखट पर हो सकती है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि अब अपने बेटे को कभी नहीं देख पाएंगे।
सरकार ने किए झूठे वादे
इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान की गहलोत सरकार पर शहीदों के नाम झूठे वादों की झड़ी लगाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने शहीदों के नाम वादे और घोषणाएं कर भूल गई कि उन्हें पूरा भी करना है। आज भी सरकार की कई घोषणाएं अधूरी हैं। जिसमें सबसे प्रमुख मुख्य सडक़ मार्ग से शहीद के घर तक सडक़ निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन कंक्रीट बिछा कर इतिश्री कर ली। अभी तक पूर्ण रूप से सडक़ का निर्माण नहीं हुआ। इसके अलावा शहीद के परिजन को अनुकम्पा नियुक्ति की घोषणा भी अधूरी है।
सरकार ने दी अपर्याप्त राशि
इसके साथ ही दिवंगत रोहताशा के परिजनों में सरकार पर शहीदों के नाम अपर्याप्त राशि देने की बात कही ।उन्होंने शहीदों के नाम शहीद स्मार्क स्थल बनाने के लिए महज 4 लाख रूपए ही प्रदान किए, जो कि स्मारक निर्माण के लिए अपर्याप्त थी जिसके बाद हमने खुद अपने पैसों से शहीद स्मार्क बनाया था।