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Raebareli: कमला नेहरू एजुकेशनल सोसाइटी के जमीन धोखाधड़ी मामले में FIR, कांग्रेस खेमें से लेकर प्रशासनिक तंत्र में मचा हड़कंप

Raebareli: कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी की जिस जमीन के खिलाफ यह जांच की जा रही है उस सोसायदी के द्वारा कभी कोई शिक्षण संस्थान यहां चलाया ही नहीं गया। इस जमीन पर बड़ी संख्या में दुकानदार स्थापित थे। जो यहां अपनी दुकाने चलाते थे या फिर अपने परिवार के साथ घर बनाकर लोग रह रहे थे। लेकिन कांग्रेस के करीबी लोगों के लिए यह जमीन कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी की थी।

नई दिल्ली। यूपी के रायबरेली में कमला नेहरू एजुकेशनल सोसाइटी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदम दर्ज कराया गया है। संस्था पर भूमि हड़पने का आरोप लगा है। जिसके बाद ADM वित्त राजस्व ने डीएम रायबरेली के निर्देश पर इस मामले में FIR दर्ज कराई है। कांग्रेस पार्टी की पूर्व सांसद शीला कौल के पुत्र विक्रम कौल, तत्कालीन एडीएम एफआर मदन पाल आर्य, सब रजिस्ट्रार घनश्याम, प्रशासनिक अधिकारी विंध्यवासिनी प्रसाद, नजूल क्लर्क राम कृष्ण श्रीवास्तव के साथ ही कमला नेहरू ट्रस्ट के सचिव सुनील देव एवं गवाह सुनील तिवारी के विरुद्ध मामले में एफआईआर दर्ज हुई है। रायबरेली के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने शहर कोतवाली में एक दर्जन लोगों के खिलाफ इस मामले में FIR दर्ज करवाई है। इसके साथ ही इसके दस्तावेज में छेड़छाड़ को लेकर प्रभारी कानूनगो प्रदीप श्रीवास्तव, लेखपाल प्रवीण कुमार मिश्रा, नजूल लिपिक छेदी लाल जौहरी का नाम भी इस एफआईआर में शामिल है।

Aditi Singh and CM Yogi Adityanath

इस मामले को सरकार के संज्ञान में कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने लाया था। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह ने इस मामले पर कमला नेहरू एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखकर इस सोसायटी के खिलाफ जांच की मांग की थी।

Kamla Nehru education Society3

इसके बाद से ही इस मामले ने तुल पकड़ लिया था और अदिति सिंह ने इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से भी ममद की गुहार लगाई थी। इसके बाद अदिति ने मामले की जांच के लिए अपराध शाखा के डीआईजी को पत्र लिखा था और सोशल मीडिया के जरिए इस पूरे मामले में गांधी परिवार पर भी निशाना साधा था। अदिति ने तब लिखा था कि जो लोग पीएम केयर फंड पर सवाल उठा रहे हैं, वो इस फर्जीवाड़े पर चुप हैं।

इस मामले में क्यों कांग्रेस विधायक ही पार्टी के हुईं खिलाफ 

अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। हुआ ये है कि कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी की जिस जमीन के खिलाफ यह जांच की जा रही है उस सोसायदी के द्वारा कभी कोई शिक्षण संस्थान यहां चलाया ही नहीं गया। इस जमीन पर बड़ी संख्या में दुकानदार स्थापित थे। जो यहां अपनी दुकाने चलाते थे या फिर अपने परिवार के साथ घर बनाकर लोग रह रहे थे। लेकिन कांग्रेस के करीबी लोगों के लिए यह जमीन कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी की थी। इस मामले में कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह का आरोप था कि यह जमीन कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी की तरफ से बच्चियों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के नाम पर ली गई, लेकिन दशकों गुजर जाने के बाद भी इस जमीन का इस्तेमाल इस काम के लिए नहीं किया गया। अब इस जमीन को बेचने की तैयारी भी कर दी गई थी। लेकिन इस सब के बीच अदालत और स्थानीय प्रशासन द्वारा इस मामले में हुए घपले की वजह से इस पर रोक लगा दी गई।

Aditi singh

अदिति सिंह ने ये भी आरोप लगाया कि कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी को जो जमीन आवंटित की गई उसकी कीमत 100 करोड़ रुपए के करीब है। इस कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के समये से ही गांधी परिवार के वफादारों द्वारा किसी और तरह से चलाया जा रहा है। ये सार काम केवल कागजी है। जमीन पर इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद अब इस जमीन को बेचने की कोशिश की गई है। इसके लिए जमीन को पहले फ्री होल्ड कराया गया और फिर इसे अवैध तरीके से बेचने की कोशिश की गई।

कब और कैसे दी गई थी कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी ट्रस्ट को जमीन

इस कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी ट्रस्ट को 5 बीघा सरकारी जमीन महिला डिग्री कॉलेज बनाने के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन 40 साल से अधिक का समय गुजर गया लेकिन कॉलेज का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया।

aditi singh

इसको लेकर बताया गया कि इस 5 बीघा सरकारी जमीन को महिला डिग्री कॉलेज बनाने कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी के लिए 30 वर्ष की अवधि के लिए आवंटित किया गया था। लेकिन इतने वर्षों में यहां कोई शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं हुआ। फिर इस जमीन को कुछ समय बाद फ्रीहोल्ड कराया गया और इसे बेचने की कोशिश की गई। इस जमीन को बिना स्वामित्व के अवैध रूप से फ्रीहोल्ड कराया गया। इसी को लेकर बवाल बढ़ा क्योंकि यहां लगभग 100 से ज्यादा परिवार और 600-700 से ज्यादा लोग निवास करते हैं। ये यहां 35-40 वर्षों से रह रहे हैं। ऐसे में पहले तो जमीन का स्वामित्व नहीं होने के बाद भी फ्रीहोल्ड कराया गया और फिर इन लोगों की अनदेखी कर इस जमीन को बेचने की कवायद शुरू कर दी गई।

इस ट्रस्ट का कैसा रहा है इतिहास और वर्तमान

अब एक बार इस कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी के ट्रस्ट का पूरा खाका देख लीजिए तो आपको समझ में आ जाएगा कि मामला कितान गंभीर है। इस ट्रस्ट के यशपाल कपूर इंदिरा गांधी के निजी सहायक थे और उमा शंकर दीक्षित स्वर्गीय शीला दीक्षित के ससुर थे। शीला कौल ने कांग्रेस शासन के दौरान केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया था। सोसाइटी के वर्तमान प्रमुख सदस्य स्वर्गीय शीला कौल के दो पुत्र हैं- विक्रम कौल और गौतम कौल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ट्रस्ट के वर्तमान सदस्य हैं।

Kamla Nehru education Society3

1976 में गांधी परिवार से जुड़ी कमला नेहरू ट्रस्ट ने एजुकेशन सोसाइटी का गठन किया था। 1135 रुपये सालाना किराए पर रायबरेली के सिविल लाइंस में 5 बीघा जमीन ली गई थी। इसी साल 1976 में ही इंदिरा गांधी से बातचीत कर इस पर लड़कियों के लिए शिक्षण संस्थान खोलने की रजामंदी हो गई थी। इस सोसाइटी ने 2003 में भूमि को एक फ्रीहोल्ड संपत्ति घोषित कर दिया और 2016 में इसे बेचने का फैसला किया।

Kamla Nehru education Society3

इस जमीन को लेकर न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने 153 कब्जेदारों को नोटिस भी जारी किया था। फिर 16 दिसबंर 2020 की रात प्रशासन की तरफ से इस अवैध कब्जे को हटा भी दिया था। लेकिन अब इस पूरे मामले पर प्रशासन सतर्क और सजग हो गया। इस मामले में कई लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है।