नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारतीय जनता पार्टी पर वार करने से पीछे नहीं रहते। कभी किसी मुद्दे पर तो कभी किसी मुद्दे पर राहुल गांधी मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते रहे हैं। बीते दिन राहुल गांधी ने तेलंगाना में बनी रामानुजाचार्य की 216 फीट की मूर्ति, जिसे स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में जाना जाता है उसे लेकर दावा किया था कि ये मूर्ति चीन में बनी है। राहुल गांधी के इसी वार पर अब केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने पलटवार किया है। रेड्डी ने कहा कि ऐसा करके राहुल गांधी अपनी अज्ञानता और छिछलेपन को उजागर करते हैं।
क्या है पूरा मामला
बीते दिन राहुल गांधी ने तेलंगाना में रामानुजाचार्य की 216 फीट की मूर्ति, जिसे स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के रूप में जाना जाता है उसे लेकर ट्विटर पर लिखा था कि ये मूर्ति चीन में बनी है। राहुल गांधी ने ये आरोप उन रिपोर्टों के आधार पर दिया जिसमें ये दावा किया गया था कि 5 फरवरी को पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया 135 करोड़ की प्रतिमा चीन के एर्सुन कॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया है। राहुल गांधी के इसी आरोपों पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने तीखा पलटवार किया और कहा कि ये परियोजना आठ साल पहले शुरू की गई थी। उस वक्त केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी।
1. State of Equality is a project of a private spiritual entity conceived 8+ years ago
2. At that time Congress was in power in both centre & state
3. 100% funds were raised privately & GoI provided NO financial support
4. The statue preceded PM’s call for Atmanirbhar Bharat https://t.co/P5ug2uXxsV
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) February 9, 2022
रेड्डी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी एक निजी आध्यात्मिक इकाई की एक परियोजना है, जिसकी कल्पना 8 साल पहले की गई थी। उस समय केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस सत्ता में थी। प्रतिमा के लिए 100 प्रतिशत फंड निजी तौर पर जुटाए गए। भारत सरकार ने इसके लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दी है। यह प्रतिमा पीएम के आत्मानिर्भर भारत के आह्वान से पहले की है।” संस्कृति मंत्री ने अपने ट्वीट में वायनाड के संसद राहुल गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि यह “केवल उनकी अपनी अज्ञानता और छिछलेपन को उजागर करता है”। उन्होंने कहा, “तथ्यों को जाने बिना बड़बड़ाते हुए वह खुद को डुबोते रहते हैं और अपनी पार्टी को धूल में मिलाते हैं।” वहीं, इस प्रतिमा के इतिहास के बारे में बताते हुए जी. किशन रेड्डी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 मई, 2020 को घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान से पहले इसकी कल्पना की गई थी।