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Rajasthan: कागजों पर बनाई गईं फर्जी गौशालाएं, गाय एक भी नहीं लेकिन लेते रहे करोड़ों का अनुदान

Rajasthan:अब सवाल राजस्थान सरकार पर भी उठ रहे हैं कि आखिर बिना किसी सत्यापन के कैसे इन फर्जी गौशालाओं को पैसे रिलीज किए जा रहे थे।

नई दिल्ली। राजस्थान में एक ऐसे फर्जीवाड़े का पता चला है, जहां गोवंश के संरक्षण के नाम पर फर्जी तरीके से करोड़ों के सरकारी अनुदान लिए गए और गायों के नाम पर वहां कुछ नहीं था। बता दें कि यह मामला जैसलमेर में पशुपालन विभाग की टीम के निरीक्षण के बाद प्रकाश में आया है। यहां ऐसी कई गौशालाएं मिली जिनमें गाय तो एक भी नहीं थीं, लेकिन उनके संरक्षण के नाम पर सरकार से करोड़ों रुपये लिए जा रहे थे। जैसलमेर में पशुपालन विभाग की टीम की तरफ से कुल 25 गौशाला का फिजिकल सत्यापन हुआ, जिसमें 12 गौशाला फर्जी पाए गए। हालांकि इनका सरकारी अनुदान सालों से चल रहा था। इन्हें प्रत्येक वर्ष अनुदान की राशि दी जा रही थी। पशुपालन विभाग की टीम की तरफ से दी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि काठोड़ी उत्थान संस्थान और जंज विकास संस्थान द्वारा ​संचालित गोशाला में निरीक्षण के दौरान एक भी गोवंश नहीं था। इसके अलावा लखा गांव में भी संचालित रता बाबा गौशाला विकास संस्थान और जैसुराणा के चानणे विकास एवं सेवा संस्थान का गौशाला भी इसी तरह से चल रहा था।

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बता दें कि सामने आई रिपोर्ट में बताया गया कि, चांधन के मंगलियों की ढ़ाणी में संचालित अमन गौशाला, जैसुराणा के गुल रोशन गौशाला जैसी जगहों पर भी एक भी पशु नहीं मिले। इनमें से हरेक ने गोवंश के नाम पर लाखों के अनुदान उठाए हैं। वहीं इन गौशालाओं को मिले अनुदान की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-21 में प्रदेश की गौशालाओं को 274.25 करोड़ रुपये दिए गए थे।

cow jail

वहीं गुल रोशन नाम से गौशाला में गाय तो एक भी नहीं थी लेकिन इसके नाम पर 333 गाएं बताकर सरकार से 11 लाख 61 हजार का अनुदान लिया गया लेकिन जब पशुपालन की टीम ने सत्यापन किया तो यहां ताला लगा नजर आया।  जिन गौशालाओं को लेकर फर्जीवाड़े की खबर आई है, उनमें अमन गौशाला, गुल रोशन गौशाला, दीन मोहम्मद गौशाला, कादरी गौशाला, जन्नत गौशाला, सिकंदर गौशाला शामिल है।

Ashok Gehlot

ऐसे में अब सवाल राजस्थान सरकार पर भी उठ रहे हैं कि आखिर बिना किसी सत्यापन के कैसे इन फर्जी गौशालाओं को पैसे रिलीज किए जा रहे थे। बता दें कि गोवंशों की हत्या को रोकने के लिए गौशालाओं का प्रबंध किया जाता है, ऐसे में फर्जीवाड़ा करके लोग सरकारी अनुदान ऐठ रहे हैं।