जानें 1986 में राममंदिर का ताला खुलवाने में राजीव गांधी की कोई भूमिका थी या नहीं, CJM CD राय ने बताई पूरी कहानी

अयोध्या में बरसों की प्रतीक्षा खत्म हो गई। पीएम मोदी के हाथों शुक्रवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। पीएम मोदी के भूमि पूजन करने के साथ ही पूरा देश ‘जय श्रीराम’ के नारों से गूंज उठा। ये तो हो गई अभी की बात लेकिन अयोध्‍या के बारे में बहुत कुछ प्रचलित है। इन्हीं में एक है 1986 में राममंदिर के ताले का किस्सा।

Avatar Written by: August 6, 2020 9:20 am
ram mandir rajiv gandhi

नई दिल्ली। अयोध्या में बरसों की प्रतीक्षा खत्म हो गई। पीएम मोदी के हाथों शुक्रवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। पीएम मोदी के भूमि पूजन करने के साथ ही पूरा देश ‘जय श्रीराम’ के नारों से गूंज उठा। ये तो हो गई अभी की बात लेकिन अयोध्‍या के बारे में बहुत कुछ प्रचलित है। इन्हीं में एक है 1986 में राममंदिर के ताले का किस्सा।

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1986 में राममंदिर का ताला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने खुलवाया था। आम राय तो यही है, लेकिन तथ्‍यों का ध्‍यान से विश्‍लेषण करने पर पता चलता है कि इसमें राजीव गांधी की कोई भूमिका नहीं थी।

यहां पढ़े कैसे और किसने खुलवाया राममंदिर का ताला…

अयोध्या पर करीबी नजर रखने वाले जनमोर्चा अखबार के संपादक शीतला सिंह ने अपनी एक मुलाकात का हवाला देते हुए बताया कि राजीव गांधी ने खुद इस बात से इनकार किया था कि उनकी राममंदिर का ताला खुलवाने में कोई भूमिका थी। फिर आखिर कैसे खुला राममंदिर का ताला? इस बारे में इलाहाबाद के सीजेएम रहे सीडी राय बताते हैं कि 1986 में यह मामला तत्‍कालीन जिला जज केएम पांडे की अदालत में लंबित था। अयोध्‍या और आसपास के लोगों को उम्‍मीद थी कि जल्‍द ही मामले में फैसला आ जाएगा। जस्टिस पांडे ने भी फैसला सुनाने से पहले पूरी तैयारी की।

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जस्टिस पांडे ने फैसले से पहले फैजाबाद के तत्‍कालीन जिलाधिकारी इंदु कुमार पांडे और पुलिस अधीक्षक कर्मवीर सिंह को तलब किया। उन्‍होंने दोनों अधिकारियों से फैसले के बाद कानून-व्यस्था के हालात पर चर्चा की। जब दोनों ने जिला जज को भरोसा दिलाया कि किसी तरह के फैसले से कानून व्यस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा तो जस्टिस पांडे ने दोनों अधिकारियों से इस वादे को लिखित में कोर्ट में दाखिल करने को कहा। दोनों अधिकारियों के लिखित आश्वासन के बाद अदालत ने 1 फरवरी 1986 को शाम 4.40 बजे फैसला सुनाया।

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भीड़ ने राममंदिर का ताला तोड़ दिया

फैसले में जिला जज पांडे ने प्रशासन को स्‍पष्‍ट आदेश दिया कि अदालत से विवादित स्थल तक पहुंचने के समय के भीतर राममंदिर का ताला खोल दिया जाए यानी प्रशासन को एक घंटे से भी कम वक्त दिया गया। फैजाबाद के डीएम और एसपी का वादा धरा रह गया और फैसला आने के बाद प्रशासन के विवादित स्‍थल तक पहुंचने से पहले ही हजारों लोग वहां पहुंच गए। भीड़ ने राममंदिर का ताला तोड़ दिया। लिहाजा, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि ताला किसने खोला? ये सब अदालत के फैसले के बाद हुआ, इसलिए पुलिस या प्रशासन ने घटना की जांच करने की कोशिश भी नहीं की।

इस बारे में तत्‍कालीन सीजेएम सीडी राय ने यह भी बताया कि जस्टिस केएम पांडे ने ताला खुलवाने का फैसला सरकार की ओर से मिले किसी इशारे या आदेश के दबाव में नहीं दिया था।

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