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Farmers Protest: कृषि कानून रद्द होने के बाद टिकैत ने की थी खालिस्तानियों से बात!, Zoom मीटिंग से खुली पोल

Farmers Protest: हालांकि, किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री को आंदोलन के रहनुमा हमेशा से ही खारिज करते हुए आए हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर ने उन रहनुमाओं को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया जो किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री की बात को इनकार किया करते थे।

नई दिल्ली। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की रहनुमाई कर रहे राकेश टिकैत ने कथित तौर पर 22 नवंबर को खालिस्तानियों संग बैठक की थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसान आंदोलन की आगे की रूपरेखा के बारे में विचार विमर्श किया गया था। इस बैठक की कुछ तस्वीरें ट्विटर पर वायरल हो रही है, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, पीटर फ्रैडरिक, डॉ अयाश खान, दलजीत कोर सोनी और खालिस्तानी समर्थक धालीवाल नजर आ रहा है। इससे पहले इन लोगों के किसान आंदोलन में हस्तक्षेप की खबरें भी सामने आ चुकी है, जिसमें से धालीवाल का नाम तो गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई ट्रैक्टर रैली की हिंसा में भी सामने आया था। हालांकि, किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री को आंदोलन के रहनुमा हमेशा से ही खारिज करते हुए आए हैं।

लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर ने उन रहनुमाओं को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया जो किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री की बात से इनकार किया करते थे, तो अब ऐसी स्थिति में वे अपने बचाव के संदर्भ में क्या दलील पेश करते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा। आइए, आगे  आपको इस बैठक में शामिल हुए खालिस्तान समर्थक धालीवाल के बारे में बताए चलते हैं।

आखिर कौन है ये धालीवाल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, धालीवाल वैंकुवर रणनीति के निदेशक व संस्थापक है। उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल से मिली जानकारी के मुताबिक, वह ब्रिटिश कोलंबिया में यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेजर वैली के पूर्व छात्र भी है, जहां से उसने अपना दो साल का बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन डिप्लोमा कोर्स किया। इसके अलावा धालीवाल काव्य न्याय फाउंडेशन का निदेशक भी है। यह वही संस्था है जिस पर टुल किट निर्माण का आरोप लगा था। इससे पहले धालीवाल का नाम कनाडा में भी तब आया जब वह जगमीत सिंह के 2017 न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी नेतृत्व अभियान के लिए “प्यार और साहस” के नारे के साथ आए थे। इससे पहले उसने अपने फेसबुक पर विवादित पोस्ट भी किया था जिसमें उसने खुद को खालिस्तानी बताया था।

KHALISTANI

उसने खालिस्तान के संदर्भ में कहा था कि यह एक विचारधारा और आंदोलन है जिसे हम अपने श्रम से सफल करके रहेंगे। इससे पहले विगत गणतंत्रत दिवस के अवसर पर धालीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो खालिस्तानी आंदोलन और कृषि कानूनों के संदर्भ में भाषणवाजी कररते हुए देखा गया था जिसके बाद से भी ये कहा जाने लगा कि किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की भूमिका भी है। जिसे लेकर कई मौकों पर सत्तारूढ़ दल के नेता किसान आंदोलन के प्रणेताओं को घेरते हुए देखे जा रहे हैं।

कौन है पीटर फ्रैडरिक      

गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों द्वारा गठित टीम को पीटर फ्रैडरिक के बारे में जानकारी हासिल हुई थी। पीटर पर किसान आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए टूलकिट बनाने का आरोप भी लगा था। अब एक बार फिर से यह कथित तौर पर किसान आंदोलन के प्रणेता माने जाने वाले राकेश टिकैत के साथ बैठक में दिखा है। अब ऐसे में इस आंदोलन को संदिग्धता भरी निगाहों से देखा जा रहा है।

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गौरतलब है कि विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकरीबन एक वर्ष से चले आ रहे किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए केंद्र की तरफ तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है। संसद में तीनों कानूनों के वापस लेने के लिए विधेयक पारित किए जा चुके हैं। लेकिन अभी-भी किसान अपने आंदोलन को विराम देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। अब वे नई मांगों के साथ आंदोलन स्थल पर विराजमान हो चुके हैं। अब देखना होगा कि इन तमाम स्थितियों के बाद सरकार का अगला कदम क्या रहता है।