नई दिल्ली। किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की रहनुमाई कर रहे राकेश टिकैत ने कथित तौर पर 22 नवंबर को खालिस्तानियों संग बैठक की थी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसान आंदोलन की आगे की रूपरेखा के बारे में विचार विमर्श किया गया था। इस बैठक की कुछ तस्वीरें ट्विटर पर वायरल हो रही है, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत, पीटर फ्रैडरिक, डॉ अयाश खान, दलजीत कोर सोनी और खालिस्तानी समर्थक धालीवाल नजर आ रहा है। इससे पहले इन लोगों के किसान आंदोलन में हस्तक्षेप की खबरें भी सामने आ चुकी है, जिसमें से धालीवाल का नाम तो गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई ट्रैक्टर रैली की हिंसा में भी सामने आया था। हालांकि, किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री को आंदोलन के रहनुमा हमेशा से ही खारिज करते हुए आए हैं।
So Rakesh Tikait did a zoom call with MO Dhaliwal of Poetic Justice Foundation, which made the Greta toolkit.
Poetic justice foundation is running Khalistan Movement, Dhaliwal calls himself a khalistani
Can be seen with khalistani Jagmeet Singh. pic.twitter.com/pxR1jrHFJa
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) December 6, 2021
लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुई इस तस्वीर ने उन रहनुमाओं को सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया जो किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की एंट्री की बात से इनकार किया करते थे, तो अब ऐसी स्थिति में वे अपने बचाव के संदर्भ में क्या दलील पेश करते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा। आइए, आगे आपको इस बैठक में शामिल हुए खालिस्तान समर्थक धालीवाल के बारे में बताए चलते हैं।
So Rakesh Tikait attended a zoom call with ISI operative Peter Friedrich and Khalistani Mo Dhaliwal on 22nd November. No doubt why he was yesterday talking about protest against privatisation of PSUs.@HMOIndia pic.twitter.com/FgKKBtcFED
— Facts (@BefittingFacts) December 6, 2021
आखिर कौन है ये धालीवाल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, धालीवाल वैंकुवर रणनीति के निदेशक व संस्थापक है। उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल से मिली जानकारी के मुताबिक, वह ब्रिटिश कोलंबिया में यूनिवर्सिटी ऑफ फ्रेजर वैली के पूर्व छात्र भी है, जहां से उसने अपना दो साल का बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन डिप्लोमा कोर्स किया। इसके अलावा धालीवाल काव्य न्याय फाउंडेशन का निदेशक भी है। यह वही संस्था है जिस पर टुल किट निर्माण का आरोप लगा था। इससे पहले धालीवाल का नाम कनाडा में भी तब आया जब वह जगमीत सिंह के 2017 न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी नेतृत्व अभियान के लिए “प्यार और साहस” के नारे के साथ आए थे। इससे पहले उसने अपने फेसबुक पर विवादित पोस्ट भी किया था जिसमें उसने खुद को खालिस्तानी बताया था।
उसने खालिस्तान के संदर्भ में कहा था कि यह एक विचारधारा और आंदोलन है जिसे हम अपने श्रम से सफल करके रहेंगे। इससे पहले विगत गणतंत्रत दिवस के अवसर पर धालीवाल का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो खालिस्तानी आंदोलन और कृषि कानूनों के संदर्भ में भाषणवाजी कररते हुए देखा गया था जिसके बाद से भी ये कहा जाने लगा कि किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की भूमिका भी है। जिसे लेकर कई मौकों पर सत्तारूढ़ दल के नेता किसान आंदोलन के प्रणेताओं को घेरते हुए देखे जा रहे हैं।
कौन है पीटर फ्रैडरिक
गणतंत्र दिवस के मौके पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा की जांच कर रहे पुलिसकर्मियों द्वारा गठित टीम को पीटर फ्रैडरिक के बारे में जानकारी हासिल हुई थी। पीटर पर किसान आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए टूलकिट बनाने का आरोप भी लगा था। अब एक बार फिर से यह कथित तौर पर किसान आंदोलन के प्रणेता माने जाने वाले राकेश टिकैत के साथ बैठक में दिखा है। अब ऐसे में इस आंदोलन को संदिग्धता भरी निगाहों से देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकरीबन एक वर्ष से चले आ रहे किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए केंद्र की तरफ तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है। संसद में तीनों कानूनों के वापस लेने के लिए विधेयक पारित किए जा चुके हैं। लेकिन अभी-भी किसान अपने आंदोलन को विराम देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। अब वे नई मांगों के साथ आंदोलन स्थल पर विराजमान हो चुके हैं। अब देखना होगा कि इन तमाम स्थितियों के बाद सरकार का अगला कदम क्या रहता है।