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Report Of Rbi: PM मोदी जिस ‘मुफ्त की रेवड़ी’ पर जता रहे थे आशंका, 10 राज्यों में वही डर अब सच साबित होता दिख रहा

पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों यूपी में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान राज्यों की तरफ से जनता को मुफ्त सरकारी योजनाएं देने पर चिंता जताई थी। मोदी ने कहा था कि इस तरह रेवड़ी बांटने से राज्यों के साथ देश की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। उन्होंने श्रीलंका का उदाहरण भी दिया था। अब मोदी की यही आशंका कई राज्यों में सच साबित होती दिख रही है।

मुंबई। पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों यूपी में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान राज्यों की तरफ से जनता को मुफ्त सरकारी योजनाएं देने पर चिंता जताई थी। मोदी ने कहा था कि इस तरह रेवड़ी बांटने से राज्यों के साथ देश की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है। उन्होंने श्रीलंका का उदाहरण भी दिया था। अब मोदी की यही आशंका कई राज्यों में सच साबित होती दिख रही है। रिजर्व बैंक RBI की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 10 राज्यों में सरकारों ने जिस तरह मुफ्त और सब्सिडी का कल्चर जारी रखा है, उससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

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रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में जिन राज्यों में रेवड़ी यानी मुफ्त योजनाएं देने से हालात विकट होने की आशंका जताई है, उनमें राजस्थान, पंजाब, केरल, कर्नाटक, झारखंड और पश्चिम बंगाल भी हैं। इन राज्यों में से ज्यादातर में विपक्ष की सरकारें हैं। अपनी सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि कर्ज और खर्च का प्रबंधन अगर इन राज्यों ने ठीक नहीं किया, तो भविष्य में हालात और गंभीर हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ये सारे राज्य बड़े कर्ज के बोझ से दबे हैं। इनकी आमदनी और खर्च का प्रबंधन भी आपस में मेल नहीं खाता। केंद्रीय बैंक ने इन राज्यों को जरूरत से ज्यादा सब्सिडी का बोझ कम करने की सलाह दी है।

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रिजर्व बैंक की रिपोर्ट से अगर सिर्फ राजस्थान का ही उदाहरण लें, तो उसकी जीडीपी के मुकाबले कर्ज 40 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। कोरोना के दौरान राजस्थान का कर्ज 16 फीसदी बढ़ गया। जबकि विकास दर 1 फीसदी रही। रिजर्व बैंक के मुताबिक 2026-27 तक राजस्थान पर कर्ज कम नहीं होने वाला। इस साल उसकी जीडीपी यानी विकास दर 11.6 फीसदी रहने का अनुमान है। पिछले तीन साल में अशोक गहलोत की सरकार ने 1.91 लाख करोड़ का कर्ज लिया है। अब राजस्थान सरकार पर 4.77 लाख करोड़ का कर्ज है। यानी हर नागरिक पर 71000 रुपए का कर्ज चढ़ा हुआ है।