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Revelation: पिता से बैर था इसलिए कांग्रेस के CM ने जज बनने से रोका, पूर्व CJI रंजन गोगोई का खुलासा

गोगोई के मुताबिक सैकिया के मंत्रिमंडल में उनके पिता केशव चंद्र गोगोई भी थे और सैकिया उनकी लोकप्रियता से चिढ़ते थे। इसी वजह से हितेश्वर सैकिया ने रंजन गोगोई को हाईकोर्ट का सीएम न बनने देने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार से कह दिया था।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की आत्मकथा कांग्रेस के राज एक-एक कर खोल रही है। किस तरह कांग्रेस के नेताओं ने कहां-कहां गड़बड़ी की, इसका खुलासा रंजन गोगोई ने अपनी आत्मकथा “जस्टिस फॉर द जज” में की है। गोगोई ने अपनी किताब में बताया है कि किस तरह अयोध्या पर फैसले को रुकवाने की कोशिश की गई थी। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया है कि किस तरह उन्हें हाईकोर्ट का जज बनने से कांग्रेस के ही एक सीएम ने रोक दिया था। गोगोई ने अपनी किताब में लिखा है कि साल 1993 की बात है। गुवाहाटी हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस यूएल भट्ट ने उन्हें बुलाकर बताया  कि वो हाईकोर्ट जज के लिए गोगोई का नाम सुप्रीम कोर्ट को भेज रहे हैं। गोगोई ने लिखा है कि तब वो 39 साल के थे और हाईकोर्ट का जज बनने के लिए कम से कम 45 साल का होना जरूरी होता है।

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गोगोई ने अपनी आत्मकथा में आगे लिखा है कि जस्टिस भट्ट ने उनसे कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के दायरे में पूर्वोत्तर के जितने राज्य आते हैं, उनकी सरकारों से मंजूरी लेकर गोगोई का नाम भेजा जाएगा। जस्टिस रंजन गोगोई के मुताबिक हर राज्य सरकार ने उनके नाम को हरी झंडी दे दी। जस्टिस भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट को नाम भेज दिया, लेकिन उन्हें हाईकोर्ट का जज नहीं बनाया गया। गोगोई ने आत्मकथा में लिखा है कि बाद में पता चला कि असम के तत्कालीन सीएम हितेश्वर सैकिया ने उनके नाम पर आपत्ति जता दी। गोगोई के मुताबिक सैकिया के मंत्रिमंडल में उनके पिता केशव चंद्र गोगोई भी थे और सैकिया उनकी लोकप्रियता से चिढ़ते थे। इसी वजह से हितेश्वर सैकिया ने रंजन गोगोई को हाईकोर्ट का सीएम न बनने देने के लिए केंद्र की कांग्रेस सरकार से कह दिया था, जबकि उनकी सरकार ने लिखित में रंजन गोगोई को जज बनाने की मंजूरी दे दी थी।

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इस सारे कांड में खास बात ये कि रंजन गोगोई तक जानकारी ये पहुंचाई गई कि मणिपुर के सीएम ने उनके नाम पर आपत्ति की है। जबकि, ऐसा नहीं था। गोगोई ने लिखा कि होनी को कौन टाल सकता है। जज न बनाए जाने के बाद उन्होंने अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान दिया और फरवरी 2001 में उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का जज नियुक्त कर दिया गया। बता दें कि गोगोई ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि अयोध्या पर जब अंतिम सुनवाई चल रही थी, तो एक शख्स ने अदालत में आना चाहा था। गोगोई ने लिखा है कि ये शख्स अगर आ जाता, तो सुनवाई को रोकने के लिए हंगामा खड़ा कर देता।