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Terror Connection: देश के लिए बड़ा खतरा हैं रोहिंग्या, कोर्ट में केंद्र सरकार का दावा- पाक आतंकी संगठनों से हैं इनके रिश्ते

साल 2012 के बाद से बड़ी तादाद में रोहिंग्या भारत आए हैं। केंद्र सरकार ने इनको वापस म्यांमार भेजने की तैयारी की थी, लेकिन कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। फिलहाल केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे रोहिंग्या समेत सभी चिन्हित अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर बनाकर वहां रखें।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में रोहिंग्या को लेकर बड़ा दावा किया है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि कुछ रोहिंग्या के रिश्ते पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से हैं। सरकार ने कहा है कि सुरक्षा एजेंसियों की जांच में इसका खुलासा हुआ है। सरकार ने कोर्ट में कहा है कि ये देश की सुरक्षा के लिए गहरी चिंता का विषय है। केंद्र के इस हलफनामे की वजह एक महिला की दिल्ली हाईकोर्ट में दी गई अर्जी है। इस अर्जी में महिला ने कहा है कि वो म्यांमार की निवासी है। वो रोहिंग्या नहीं है और अमेरिका में पति से री-सेटलमेंट के लिए भारत से होकर जाना चाहती है, लेकिन सरकार ने उसकी एप्लीकेशन नामंजूर कर दी है।

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इस पर जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। अपने जवाब में सरकार ने कहा है कि पड़ोसी देश म्यांमार से अवैध प्रवासी आ रहे हैं। ये लोग पश्चिम बंगाल के बेनापोल, हिली, हरिदासपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से आते हैं। इसके अलावा त्रिपुरा के सोनमोरा बॉर्डर से भी भारत में प्रवेश करते हैं। इन्हें लाने वाले एजेंट सारी सुविधाएं दिला रहे हैं। पड़ोसी देशों से भारत में आए अवैध प्रवासियों की बड़ी तादाद हो चुकी है। सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया कि इन अवैध प्रवासियों के कारण सीमावर्ती राज्यों की जनसंख्या में बड़ा बदलाव आया है। इससे देश के नागरिकों के मौलिक और बुनियादी अधिकारों पर भी असर पड़ रहा है।

बता दें कि साल 2012 के बाद से बड़ी तादाद में रोहिंग्या भारत आए हैं। केंद्र सरकार ने इनको वापस म्यांमार भेजने की तैयारी की थी, लेकिन कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। फिलहाल केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वे रोहिंग्या समेत सभी चिन्हित अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर बनाकर वहां रखें।