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Russia-Ukraine crisis: जंग के बीच फरियाद लेकर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट पहुंचा यूक्रेन, रूस पर लगाया नरसंहार का आरोप!

Russia-Ukraine crisis: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने सैन्य हमले को सही ठहराते हुए कहा था कि यूक्रेन सरकार, पूर्वी यूक्रेन में मौजूद लोगों के साथ सही बर्ताव नहीं कर रही थी। उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा था। यहां तक की उनके नरसंहार की संभावना थी। उनकी रक्षा करना जरूरी था।

नई दिल्ली। यूक्रेन, रूस द्वारा खुद पर आक्रमण को लेकर अब अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट पहुंच चुका है। नीदरलैंड्स के हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में (यूक्रेन बनाम रूसी संघ) मामले की सुनवाई चल रही है। हालांकि, रूस इसमें हिस्सा नहीं ले रहा है। गौरतलब है कि यूक्रेन ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में रूस को युद्ध बंद करने का आदेश देने की मांग की है,और मंगलवार को भी इस मामले पर सुनवाई होनी तय है। बहरहाल, आइए जानते हैं कि यूक्रेन ने रूस पर कौन सा इल्जाम लगाया है, और कोर्ट से वह क्या चाहता है!

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यूक्रेन ने रूस पर नरसंहार का लगाया है इल्जाम

यूक्रेन ने रूस पर नरसंहार का इल्जाम लगाते हुए कोर्ट का रुख किया है। यूक्रेनीयन राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने इससे पहले कहा था कि यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अपना आवेदन आईसीजे को सौंप दिया है। रूस को उसके इस आक्रामकता के लिए लिए जिम्मेवार ठहराना चाहिए, रूस ने नरसंहार की धारणा को अपने हिसाब से तय किया और उसमें हेरफेर कर अपनी मनमानी को अब सही ठहरा रहा है। रूस अपने हमले को सही ठहराने के लिए नरसंहार की दोषपूर्ण व्याख्या कर रहा है।

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पुतिन ने क्या कहा था?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने सैन्य हमले को सही ठहराते हुए कहा था कि यूक्रेन सरकार, पूर्वी यूक्रेन में मौजूद लोगों के साथ सही बर्ताव नहीं कर रही थी। उन्हें लगातार डराया-धमकाया जा रहा था। यहां तक की उनके नरसंहार की संभावना थी। उनकी रक्षा करना जरूरी था। बता दें कि पूर्वी यूक्रेन में मौजूद लोग ऐसे लोग हैं, जो रूसी भाषा बोलते हैं, और कथित तौर पर वे रूसी सरकार के समर्थक हैं।

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क्या है आईसीजे (ICJ)

आईसीजे (ICJ) यानी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस। यह संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है। इसका मुख्यालय हेग में है। दुनिया की सबसे प्रमुख अदालत कही जान वाली ये कोर्ट दो देशों के बीच कानूनी विवाद का निपटारा करती है। इसके अलावा ICJ किसी भी अधिकृत अंतर्राष्ट्रीय शाखा, एजेंसी या संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से पूछे गए कानूनी प्रश्नों पर अपनी सलाह भी देती है। यूं तो इसके फैसले बाध्यकारी प्रवृत्ति के नहीं होते हैं, पर अमूमन यह देखा जाता है कि उसको नहीं मानने की वजहें भी देशों के पास नहीं होती।