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एस जयशंकर ने नेहरू और सरदार पटेल के रिश्तों पर की टिप्पणी तो भड़क उठे रामचंद्र गुहा, मिला करारा जवाब

एस जयशंकर बुधवार को सरदार वल्लभभाई पटेल पटेल के सहयोगी रहे वीपी मेनन की ऑटोबायोग्राफी के विमोचन में शामिल हुए थे।

नई दिल्ली। एस जयशंकर बुधवार को सरदार वल्लभभाई पटेल पटेल के सहयोगी रहे वीपी मेनन की ऑटोबायोग्राफी के विमोचन में शामिल हुए थे। इस मौके पर उपस्थित हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1947 में अपनी कैबिनेट में सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम शामिल नहीं किया था। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के बीच इन दिनों सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है। रामचंद्र गुहा के किए गए सवालों का भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बेहतरीन जवाब दिया है।biography of VP Menon by DR. S Jaishankar

रामचंद्र गुहा ने लिखा, ‘ये एक मिथ है जिसका खुलासा काफी पहले हो चुका है। इस तरह आधुनिक भारत के निर्माताओं के बारे में फेक न्यूज़ फैलाना एक विदेश मंत्री को शोभा नहीं देता है। ये काम बीजेपी की आईटी सेल पर छोड़ देना चाहिए।’


इसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिखा कि कुछ विदेश मंत्री किताबें भी पढ़ते हैं, अच्छा हो कि प्रोफेसर भी ऐसा काम करें।


वीपी मेनन की ऑटोबायोग्राफी नारायणी बसु ने लिखी है। जयशंकर ने कई ट्वीट भी किए। उन्होंने लिखा, ‘‘किताब से मुझे पता लगा कि नेहरू ने कैबिनेट की शुरुआती सूची से पटेल का नाम बाहर कर दिया था। जाहिर है कि इस मुद्दे पर खासी बहस होना चाहिए। पटेल के मेनन और और नेहरू के मेनन में अंतर दिखाई देता है। सही मायने में एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व के साथ न्याय हुआ। लेखिका को तथ्य सामने लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी होगी।’’


जयशंकर ने यह भी कहा, ‘‘पुराने समय में इतिहास को राजनीति के लिए लिखा गया। अब इसे ईमानदारी से ठीक किए जाने का समय है। मेनन के मुताबिक, सरदार पटेल के आखिरी दिनों में उनकी याददाश्त को बढ़ाने की कोशिश की गई थी। मैं यह इसलिए जानता हूं, क्योंकि मैंने इसे देखा है। कई बार मैं खुद ही इसका शिकार हुआ।’’


वीपी मेनन भारतीय सिविल सेवा के वरिष्ठ अफसर थे। उन्होंने देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के साथ काम किया। रियासतों के एकीकरण में मेनन का भी योगदान माना जाता है।