नई दिल्ली। हमारे समाज में बेटियों से जुड़े मसलों को लेकर हमेशा से ही बहस होती रही है। बड़े ही अफसोस की बात है कि हमारे पुरखाओं ने हमेशा ही अपनी पृितसत्तात्मक सोच को वरियता देते हुए महिलाओं के हितों को दरकिनार किया जिसका नतीजा यह हुआ कि स्त्रियां हमेशा ही शोषित होती रहीं। उनका सर्वांगिन विकास नहीं हो पाया, लेकिन इस बीच कई लोगों ने महिलाओं से जुड़े मसलों को बेबाकी से उठाया और उनके सर्वांगिन विकास की मांग उठाई। नतीजतन पूर्व से लेकर अब तक की कई सरकारों ने महिलाओं से जुड़े हितों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए, लेकिन इस बीच कुछ ऐसी ओछी मानसिकता के लोग रहें, जिन्होंनें सरकार द्वारा उठाए गए इन ऐतिहासिक कदमों का विरोध करने से गुरेज नहीं किया। इस रिपोर्ट में हम आपको एक ऐसी ओछी मानसिकता के प्रतीक माने जाने वाले शख्स से रूबरू कराएंगे, लेकिन उससे पहले हम आपको सरकार द्वारा महिलाओं के संदर्भ में लिए गए हालिया फैसले से रूबरू कराए चलते हैं। बता दें कि अभी हाल ही में केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल कर दी है।
सरकार के इस फैसले को लेकर जहां पूरे देश में खुशी की लहर है। हर शख्स इस फैसले का स्वागत कर रहा है, तो वहीं कुछ ओछी मानसिकता के लोग हैं, जो इस फैसले की जोरदार मुखालफत कर रहे हैं। इन्हीं में से एक समाजवादी पार्टी के नेता शफीकुर्ररहमान बर्क हैं। इन्होंने सरकार के इस फैसले के विरोध में ऐसे-ऐसे तर्क दिए हैं जिसे जानकर आपके होश फाख्ता हो जाएंगे। सपा सांसद ने मोदी सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि गरीब आदमी चाहता है कि उसकी बेटी की शादी की जल्द से जल्द हो जाए और 18 साल शादी के लिए बिल्कुल वाजिब उम्र है।
सपा सांसद ने कहा कि देश का माहौल खराब है। क्या इससे वो बच पाएंगी और दिनों दिन मुल्क के हालात खराब होते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार का उक्त फैसला दुर्भाग्यूपर्ण है। रही पढ़ाई की बात, तो शादी के बाद भी बेटियां पढ़ाई कर सकती हैं। उन्हें उनके सुसराल वाले थोड़ी न रोकेंगे। उन्होंने तो यहां तक कहने से कोई गुरेज नहीं किया कि बेटियों की उम्र 21 साल होने से अवारा हो जाएंगी। सपा सांसद ने कहा कि मैं सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करूंगा। इससे हमारी बेटियों पर बुरा असर पड़ेगा।अगर आपने ये सब कुछ पढ़ लिया है, तो आप हैरान मत होइए क्योंकि अपने उलजुलूल तर्कों का हवाला देकर अपने बेतुके बयानों को वाजिब ठहराने की होड़ में शामिल होने वाले शफीकुर्ररहमान कोई इकलौते नेता नहीं हैं, बल्कि सरकार के उक्त फैसले के बाद उनके जैसे नेताओं की बेशुमार फौज खड़ी हो गई हैं जिन्होंने सरकार के इस फैसले के विरोध करने के लिए झंड़ा खड़ा कर लिया है। उधर, उन नेताओं के विरोध में यूपी सरकार के केंदीय अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि शफीकुर्रहमान बर्क आवाराओं की पार्टी से आते हैं और ऐसा बयान शर्मनाक है। शफीकुरहमान देश की बेटियों का अपमान कर रहे हैं, ऐसा बयान देकर समाज की छवि करते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस संदर्भ में अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, जो मथुरा और काशी के विकास पर ज्ञान देते हैं।