नई दिल्ली। देश में जल्द ही नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना है। विपक्ष ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लगाई है तो वहीं, एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू के नाम को आगे किया है। आने वाली 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होना है जिसकी मतगणना 21 जुलाई को होगी। मतगणना के पूरा होते ही देश को नया महामहिम मिल जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव से पहले महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे से झटका खाने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब शिवसैनिकों के आगे घुटने टेकते हुए नजर आ रहे हैं। दरअसल, एक दिन पहले यानी सोमवार को ठाकरे ने सांसदों की मीटिंग बुलाई थी। इसमें 19 लोकसभा सांसदों में से 12 ही पहुंचे और 7 गायब रहे। इसके अलावा मीटिंग में शामिल सांसदों ने ठाकरे पर ये दबाव बनाया कि पार्टी को यशवंत सिंहा नहीं बल्कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए। हालांकि उस वक्त उद्धव ठाकरे ने इसपर विचार करने की बात कही थी लेकिन अब राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना ने एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का ऐलान कर विपक्ष को बड़ा झटका दे दिया है।
बता दें, पार्टी के सीनियर नेता संजय राउत ने इस बारे में जानकारी देते हुए साफ किया है कि वो द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं लेकिन इसका मतलब भाजपा का समर्थन करना नहीं है। संजय राउत ने कहा कि आदिवासी नेता के नाम पर हम द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दे रहे हैं। जनभावना का ख्याल रखते हुए ही ये निर्णय लिया गया है।
सांसदों के दबाव में शिवसेना ने बदला रुख?
द्रौपदी मुर्मू के समर्थन के पीछे सांसदों के दबाव माना जा रहा है क्योंकि पार्टी के 55 में से 40 विधायक बागी एकनाथ शिंदे के साथ जा चुके हैं। इसके अलावा अब बाकी बचे सांसदों के भी शिंदे के समर्थन में होने की बात कही जा रही है। ऐसे में अगर शिवसेना प्रमुख ठाकरे अगर अपने सांसदों द्वारा द्रौपदी मुर्मू के समर्थन की बात को नहीं मानते तो मौजूदा सांसदों के भी शिंदे गुट में शामिल होने की संभावना बनी हुई थी। ऐसे में एक तरह से देखा जाए तो शिवसेना ने बदले रुख के लिए सांसदों का दबाव माना जा रहा है।