लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ के शहर काजी मौलाना अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने आज के दौर में रमजान मनाने के मुस्लिमों के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें गलत बताया है। काजी का कहना है कि जिस तरह से रमजान में पुराने रस्मों को किनारे कर दिया गया है और हुल्लड़ मचाया जाता है, वो इस पर्व को मनाने के तरीके के बिल्कुल विपरीत है। मौलाना अबुल इरफान मियां ने हिंदी अखबार ‘नवभारत टाइम्स’ से बातचीत में अपना दर्द बयान किया। उन्होंने कहा कि साल 1952 में मैं काफी छोटा था, लेकिन देखता था कि गरीबी के बावजूद लोग रमजान के वक्त अल्लाह की इबादत में वक्त बिताते थे, लेकिन अब माहौल बदल गया है और रमजान मनाने के तरीके भी।
शहर काजी ने कहा कि आजकल रमजान के वक्त ऐश-ओ-आराम के साथ दिखावा करने वालों की तादाद बढ़ गई है। उन्होंने आगे कहा कि रमजान में इफ्तार के बाद रात में जिस तरह बाइक पर स्टंटबाजी और होटलों में मजमा लगता है, वो ठीक नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि बचपन में उन्होंने देखा था कि मस्जिदों में तरावीह के वक्त कुरान के एक या दो पारे होते थे। अब मस्जिदों में पांच पारों की तरावीह का नया सिस्टम शुरू हो गया है। शहर काजी मौलाना अबुल ने कहा कि कुरान-ए-पाक समझकर पढ़ने वाली नेमत है। रमजान के वक्त इसे लेकर महज औपचारिकता नहीं की जानी चाहिए।
देश में पहली बार किसी आलिम मौलाना ने रमजान के पर्व को मनाने में हो रही गड़बड़ियों की ओर लोगों का ध्यान दिलाया है। इससे पहले किसी और मुस्लिम धर्मगुरु ने इस तरह की बात नहीं की थी। बता दें कि लखनऊ स्थित फरंगी महल इस्लामी धर्म की बड़ी और नामचीन संस्था है। यहां से हर साल हजारों बच्चे इस्लाम की शिक्षा भी ग्रहण करते हैं।