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Maharastra: शिवसेना ने कांग्रेस को ‘बीमार पार्टी’ बताकर राहुल को लेकर कह दी ये बड़ी बात

Maharastra: सर्वविदित है कि शिवसेना ने उक्त लेख पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के सियासी बवाल के संदर्भ में कांग्रेस की वर्तमान दशा की ओर इंगित करते हुए लिखा है। इस लेख में बताया गया है कि निसंदेह राहुल गांधी पार्टी में चल रही खींचतान को सुलझाने की दिशा में अनवरत प्रयासरत हैं।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ चोली दामन का साथ निभाने वाली शिवसेना ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को बीमार बताते हुए इसे उचित उपचार उपलब्ध कराने की मांग की है। शिवसेना ने अपन संपादकीय ‘सामना’ में प्रकाशित हुए अपने लेख में लिखा है कि अध्यक्षविहिन होने की वजह से पार्टी बीमार हो चुकी है। संपादकीय में कहा गया है कि अध्यक्ष किसी भी राजनीतिक दल का सिर होता है। जिस तरह बिना सिर के किसी इंसानी शरीर के रचना की कल्पना नहीं की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार से अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में किसी भी राजनीतिक दल की कल्पना नहीं की जा सकती है। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कांग्रेस बीमार हो चुकी है। उसे उपचार की जरूरत है।

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सर्वविदित है कि शिवसेना ने उक्त लेख पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के सियासी बवाल के संदर्भ में कांग्रेस की वर्तमान दशा की ओर इंगित करते हुए लिखा है। इस लेख में बताया गया है कि निसंदेह राहुल गांधी पार्टी में चल रही खींचतान को सुलझाने की दिशा में अनवरत प्रयासरत हैं, लेकिन वे इसमें विफल हो रहे हैं, क्योंकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी से हाथ मिला लिया है। हालांकि, शिवसेना द्वारा लिखित इस लेख में स्पष्ट रूप उन नेताओं के नाम नहीं बताए गए हैं, लेकिन इस लेख से साफ जाहिर होता है कि शिवसेना का इशारा जी-23 के नेताओं की तरफ था, जो लगातार कांग्रेस की कार्यशैली के विरोध में अपने स्वर मुखर कर रहे हैं।

Rahul Gandhi

विदित है कि विगत दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी आलाकमान से यथाशीघ्र अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति को नियुक्त करने की मांग की थी। इससे पहले भी कई अवसर पर जी-23 गुट में शामिल नेताओं ने पार्टी हाईकमान से इस तरह की मांग की है, ताकि पार्टी की सियासी स्थिति को दुरूस्त किया जा सकें।

g-23 congress leader

वहीं, शिवसेना ने अपने लेख के जरिए पार्टी में युवा वर्ग के अध्यक्ष पद की मांग को उचित ठहराते हुए कहा कि बिना अध्यक्ष के कोई भी राजनीति दल अनवरत गर्त में ही चला जाता रहेगा, इसलिए यथाशीघ्र अध्यक्ष पद के लिए उचित व्यक्ति की नियुक्ति की जाए, अन्यथा इसी तरह से तमाम राज्य कांग्रेस के हाथ से फिसलते चले जाएंगे।

युवाओं और बुजुर्ग नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव

इसके अलावा शिवसेना ने अपने लेख में लिखा है कि कांग्रेस में युवा व बुजुर्ग नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव दिखता है, लिहाजा ऐसी कोशिश की जानी चाहिए, जिससे इन दोनों ही नेताओं के बीच सामंजस्य पैदा हो। जहां एक तरफ युवा नेताओं को बुजुर्ग नेताओं के तुजुर्बे का फायदा मिले तो वहीं बुजुर्ग नेताओं को युवा नेताओं के उर्जा का फायदा मिले। यह दोनों ही मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाने में कामायब रहेंगे।

सिद्धू की शैली पर पार्टी का बयान

वहीं, अपने इस्तीफे से पंजाब में कांग्रेस के लिए संकट पैदा करने वाले नवजोत सिंद्धू के संदर्भ में शिवसेना ने अपने लेख में लिखा है कि सिद्धू पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। लेख में उल्लेख किया गया है कि सिद्धू पर भरोसा करना पार्टी के लिए नुकसानदायका साबित हो सकता है।  सर्वविदित है कि कांग्रेस का जनाधार तमाम राज्यों में लगातार कम होता जा रहा है।

हालांकि, पंजाब में चुनाव से पहले चरणजीत सिंह चन्नी के सिर पर मुख्यमंत्री का सेहरा बांध कर बड़ा दांव चलने वाली कांग्रेस का पूरा खेल सिद्धू के इस्तीफे ने बिगाड़ दिया है। चन्नी के सीएम बनने के बाद कांग्रेस को आने वाले चुनाव में इसका फायदा मिलना तय माना जा रहा था। वहीं, इससे पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में भी स्थिति मजबूत होगी, लेकिन सिद्धू ने अपने इस्तीफे से पार्टी की पूरी स्थिति को कमजोर करके रख दिया। संभवत: इस बार सिद्धू के नखरे से क्षुब्ध पार्टी आलाकमान उन्हें मनाने की कोशिश न करें।