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शिवसेना का फिर कांग्रेस पर तंज, ‘बड़ी पार्टी’ होने पर खड़े किए सवाल

Maharastra: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) नेतृत्व को लेकर शिवसेना ने एक बार फिर कांग्रेस पर तंज कसा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) नेतृत्व को लेकर शिवसेना ने एक बार फिर कांग्रेस पर तंज कसा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए कांग्रेस की क्षमता पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि एक समय था जब कांग्रेस पत्थर को भी खड़ा कर देती तो लोग वोट देते थे। लेकिन अब कांग्रेस के समर्थन वाली मतपेटी पहले जैसी नहीं रही है। बता दें कि इससे पहले शिवसेना ने यूपीए का नेतृत्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार (Sharad pawar) को सौंपने की वकालत की थी। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की नेतृत्व क्षमता को लेकर सवाल खड़े किए थे। इतना ही नहीं शिवसेना ने यूपीए को एनजीओ तक बता डाला था। बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार का गठन किया है।

Uddhav Thackrey Sanjay Raut

शिवसेना ने सामना में लिखा, यूपीए का मजबूत होना वक्त की मांग है। लेकिन ये कैसे होगा? फिलहाल विरोधियों की एकता पर राष्ट्रीय मंथन शुरू है। ‘यूपीए’ का नेतृत्व कौन करेगा यह विवाद का मुद्दा नहीं है। मुद्दा ये है कि यूपीए को मजबूत बनाना है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समक्ष चुनौती के रूप में उसे खड़ा करना है। कांग्रेस पार्टी ये सब करने में समर्थ होगी तो उसका स्वागत है। कांग्रेस के नेता हरीश रावत का कहना है कि गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के पास ही गठबंधन का नेतृत्व होता है। वे सही बोले हैं लेकिन ये बड़ी पार्टी जमीन पर न चले। लोगों की अपेक्षा है कि वो एक बड़ी उड़ान भरे।’

Sanjay Raut

सामना में आगे लिखा, ‘नि:संदेह कांग्रेस आज तक बड़ी पार्टी है लेकिन बड़ी मतलब किस आकार की? कांग्रेस के साथ ही तृणमूल और अन्नाद्रमुक जैसी पार्टियां संसद में हैं और ये सारी पार्टियां भाजपा विरोधी हैं। देश के विरोधी दल में एक खालीपन बन गया है और बिखरे हुए विपक्ष को एक झंडे के नीचे लाने की अपेक्षा की जाए तो कांग्रेस के मित्रों को इस पर आश्चर्य क्यों हो रहा है? देश में भाजपा विरोधी असंतोष की चिंगारी भड़क रही है। लोगों को बदलाव चाहिए ही चाहिए इसलिए वैकल्पिक नेतृत्व की आवश्यकता है।’