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केजरीवाल सरकार का चौंकाने वाला फैसला, निजी अस्पतालों को दिया 30 फीसदी तक कोविड बेडों को कम करने का आदेश, बताई ये वजह

Kejriwal government :लाजिमी है कि उक्त खंड को पढ़कर जहां आपके जेहन में केजरीवाल सरकार की कार्यशैली को लेकर बेशुमार सवालों ने हिलोरे मारने शुरू कर दिए होंगे, तो वहीं आपके जेहन में यह जानने की आतुरता भी अपने चरम पर पहुंच गई होगी कि आखिर क्यों दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते कहर के बीच दंग कर देने वाला फैसला लिया है।

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते कहर के बीच केजरीवाल सरकार ने काफी हैरानजनक फैसला लिया है, जिसे जानकर सभी के पैरों तले से जमीन खिसकती हुई नजर आ रही है। दरअसल, दिल्ली सरकार की तरफ सभी निजी अस्पतालों समेत नर्सिंग होम संचालकों को कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित किए बेडों में 30 फीसद कम करने का निर्देश दिया गया है। अब ऐसे में जब कोरोना का कहर अपने चरम पर पहुंच चुका है। राजधानी दिल्ली में कोरोना विस्फोट हो चुका है। स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दम तोड़ती हुई नजर आ रही है। ऐसी स्थिति में दिल्ली सरकार द्वारा लिया गया उक्त फैसला लोगों को हजम नहीं हो रहा है। इसके अलावा जिन निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम संचालकों के पास कोरोना मरीजों के लिए 100 से कम बेड आरक्षित हैं, उन्हें अपनी सहूलियतों के आधार पर कोरोना मरीजों के लिए बेडों को आरक्षित करने का स्वतंत्रता भी प्रदान की गई है।

क्यों लिया गया यह फैसला  

लाजिमी है कि उक्त खंड को पढ़कर जहां आपके जेहन में केजरीवाल सरकार की कार्यशैली को लेकर बेशुमार सवालों ने हिलोरे मारने शुरू कर दिए होंगे, तो वहीं आपके जेहन में यह जानने की आतुरता भी अपने चरम पर पहुंच गई होगी कि आखिर क्यों दिल्ली सरकार ने कोरोना के बढ़ते कहर के बीच दंग कर देने वाला फैसला लिया है।

दरअसल, दिल्ली सरकार ने डेंगू, मलेरिया सहित अन्य बीमारियों की गिरफ्त में आने वाले मरीजों के बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए निजी अस्पतालों समेत नर्सिंग होम के संचालकों को कोविड आरक्षित बेड को 30 फीसद तक कम करने का आदेश दे दिया है, ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था दम न तोड़ दे। बता दें कि दिल्ली सरकार द्वारा इस फैसले को लेने की मुख्य वजह यह भी मानी जा रही है, क्योंकि ओमीक्रॉन की चपेट में आने वाले अधिकांश मरीजों का उपचार स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का अनुपलान करते हुए घरों में रहते हुए संभव है, जो कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में मुमकिन नहीं था।

उन दिनों कोरोना के कमोबेश लक्षण परिलक्षित होते ही अस्पतालों का सहारा ले लिया जाता था, जिसके चलते कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन ओमीक्रन को लेकर चिकित्सकों ने दो टूक कह दिया है कि इसके लक्षण काफी हल्के हैं, लिहाजा कमोबेश एहितायितों के साथ ही घर पर रहते ही मरीजों का उपचार काफी हद तक मुमकिन है, जो कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान मुमकिन नहीं था, शायद इसलिए दिल्ली सरकार ने उक्त फैसला लिया है। गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में ओमीक्रॉन के मामले में इजाफा देखने को मिल रहा है। सरकार की तरफ से एहतियातों और पाबंदियों का सिलसिला शुरू हो चुका है। लेकिन आगे चलकर कोरोना के कहर के नतीजतन राजधानी दिल्ली की स्थिति क्या रुख अख्तियार करती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।