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BJP: पीएम मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों की पांडुलिपि के 11 खंडों का किया विमोचन, कहा गीता ने दुनिया को निस्वार्थ सेवा का भाव दिया

BJP: उन्होंने कहा कि ये गीता ही है जिसने दुनिया को निस्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती। हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की टिप्पणियों वाली पांडुलिपि के 11 खंडों का विमोचन किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि आज हम श्रीमद्भागवतगीता की 20 व्याख्याओं को एक साथ लाने वाले 11 संस्करणों का लोकार्पण कर रहे हैं। मैं इस पुनीत कार्य के लिए प्रयास करने वाले सभी विद्वानों, इससे जुड़े हर व्यक्ति और उनके हर प्रयास को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

Narendra Modi Shrimad Bhagwat Geeta Pandulipi

उन्होंने आगे कहा कि किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएं, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है। ये भारत की उस वैचारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। गीता को रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में सामने रखा। स्वामी विवेकानंद के लिए गीता अटूट कर्मनिष्ठा और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है। गीता श्री अरबिंदो के लिए तो ज्ञान और मानवता की साक्षात अवतार थी। गीता महात्मा गांधी की कठिन से कठिन समय में पथप्रदर्शक रही है। गीता नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा रही है। ये गीता ही है जिसकी व्याख्या बाल गंगाधर तिलक ने की और आज़ादी की लड़ाई को नई ताकत दी।

Narendra Modi Shrimad Bhagwat Geeta Pandulipi

उन्होंने कहा कि ये गीता ही है जिसने दुनिया को निस्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती। हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने हमारी आजादी की लड़ाई की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सभी पर हम शोध करें, लिखें और अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं।

हमारा लोकतन्त्र हमें हमारे विचारों की आज़ादी देता है, काम की आज़ादी देता है, अपने जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है। हमें ये आज़ादी उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं से मिलती है, जो हमारे संविधान की संरक्षक हैं। गीता तो एक ऐसा ग्रंथ है जो पूरे विश्व के लिए है, जीव मात्र के लिए है। दुनिया की कितनी ही भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया, कितने ही देशों में इस पर शोध किया जा रहा है, विश्व के कितने ही विद्वानों ने इसका सानिध्य लिया है। हमने जितनी ज्यादा प्रगति की, उतना ही मानव मात्र की प्रगति के लिए और प्रयास हम करते रहे। हमारे यही संस्कार और यही इतिहास आज आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के रूप में एक बार फिर जागृत हो रहा है।

Narendra Modi Shrimad Bhagwat Geeta Pandulipi

आज भी जब दुनिया एक बार फिर से हर्बल और नेचुरल की बात कर रही है, आज जब अलग-अलग देशों में आयुर्वेद पर शोध हो रहे हैं तो भारत उसे प्रोत्साहित कर रहा है, मदद भी दे रहा है। आज एक बार फिर भारत अपने सामर्थ्य को संवार रहा है ताकि वो पूरे विश्व की प्रगति को गति दे सके, मानवता की सेवा कर सके। हाल के महीनों में दुनिया ने भारत के जिस योगदान को देखा है, आत्मनिर्भर भारत में वही योगदान और अधिक व्यापक रूप में दुनिया के काम आयेगा।

Narendra Modi Shrimad Bhagwat Geeta Pandulipi

आज जब देश आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहा है तो हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सब पर हम शोध करें, अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं