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मुगलों की निशानी को मिटाने की हो रही कोशिश, इसके जवाब में सुधांशु त्रिवेदी ने जो कहा वह सुनकर सभी की बोलती हो गई बंद…

त्रिवेदी(Sudhanshu Trivedi) ने कहा कि, बनाने वाले कारीगर हमारे, बनाने वाले इंजीनियर हमारे, सिर्फ हुकूमत उनकी थी, इसलिए नाम उनका? मैं नहीं मानता हूं कि आज के मुसलमानों का मुगलों(Mughals) से लेना देना है।

नई दिल्ली। सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा में बनने वाले मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज करने का फैसला किया। इस फैसले को लेकर सीएम योगी ने अपने एक ट्वीट में कहा कि, “आगरा में निर्माणाधीन म्यूजियम को छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा। आपके नए उत्तर प्रदेश में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिन्हों का कोई स्थान नहीं। हम सबके नायक शिवाजी महाराज हैं। जय हिन्द, जय भारत।”

CM Yogi Adityanath

बता दें कि 151 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले आगरा के मुगल म्यूजियम की नींव सपा सरकार में पड़ी थी लेकिन उसी दौरान इसका नाम बदलने की मांग उठी थी। अब जब CM योगी ने इसकी घोषणा कर दी है तो ऐसे में एक लंबी बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग सरकार को निशाने पर ले रहा है तो वहीं, अखाड़ा परिषद जैसे संगठन समर्थन में उतर आए हैं।

योगी सरकार पर आरोप लगाने वालों का कहना है कि, यूपी सरकार मुगलों की निशानी को मिटाने की कोशिश कर रही है। इसी मुद्दे पर निजी न्यूज चैनल आजतक पर हुई बहस में शामिल हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने अपने तर्कों से विरोधियों की बोलती बंद कर दी। एंकर रोहित सरदाना ने अपने सवाल में सुधांशु त्रिवेदी से पूछा कि, “क्या मुगलों की बनाई हुई इमारतों या उनके नाम पर रखी जगहों के नाम बदलकर इतिहास बदल पाएंगे योगी आदित्यनाथ?”

bjp spokesperson sudhanshu trivedi

इस सवाल के जवाब में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि,”सवाल ये नहीं है कि योगी जी ने नाम बदला, सवाल तो ये है कि 2016 में मुगलों के नाम पर किसी इमारत का नाम रखा ही क्यों गया। दुनिया में कोई देश बताइए, जो 400 साल पहले उसके ऊपर आए विदेशी आक्रांताओं के नाम पर कोई बिल्डिंग आज बनवा रहा हो। ये गजब का तथ्य है। क्यों रखा गया, जवाब तो ये है।

 

उन्होंने कहा कि, जहां बिल्डिंगों की बात है तो मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं, ये राष्ट्रपति भवन अंग्रेजों ने बनवाया था, वायसराय हाउस नाम था ना, बदलकर इसका नाम राष्ट्रपति भवन किया गया, किसी को आपत्ति नहीं हुई। तो ये बताइए कि मुगलों के जमाने के नाम बदलने पर आपत्ति क्यों..?

sudhanshu

त्रिवेदी ने कहा कि, बनाने वाले कारीगर हमारे, बनाने वाले इंजीनियर हमारे, सिर्फ हुकूमत उनकी थी, इसलिए नाम उनका? मैं नहीं मानता हूं कि आज के मुसलमानों का मुगलों से लेना देना है। इसलिए ये इमारतें हमारी हैं, उस वक्त हम गुलाम थे इसलिए उनके नाम से जाना जाता है।