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Himachal Pradesh: आर्थिक मोर्चे पर डगमगाई सुक्खू सरकार, 15 हजार कर्मचारियों को नहीं मिली अब तक सैलरी

अब कर्मचारी बेचारे परेशान हैं। किसी को अपने घर का राशन भरवाना है, तो किसी को अपने बच्चों के स्कूल की फीस भरनी है, तो किसी को अपने बुजुर्ग मां-बाप के लिए दवाइयां लेनी है, लेकिन सुक्खू सरकार का इन सबसे कोई सरोकार नहीं है।

नई दिल्ली। बड़े-बड़े लुभावने वादों के सहारे हिमाचल की जनता को रिझाकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस के नेतृत्व में प्रदेश की आर्थिक बदहाली का आलम कुछ ऐसा है कि अब तक सरकारी विभागों में कार्यरत किसी भी कर्मचारी को मई माह का वेतन तक नहीं मिला है। बहुधा यह वेतन एक तारीख तक मिल जाया करता था, लेकिन सुक्खू सरकार की मेहरबानी देखिए कि आज 13 जून है, लेकिन अभी तक कर्मचारियों को मई माह का वेतन नहीं मिला है। अब कर्मचारी बेचारे परेशान हैं। किसी को अपने घर का राशन भरवाना है, तो किसी को अपने बच्चों के स्कूल की फीस भरनी है, तो किसी को अपने बुजुर्ग मां-बाप के लिए दवाइयां लेनी है, लेकिन सुक्खू सरकार को इन सबसे कोई सरोकार नहीं है। उनकी कार्यशैली से जाहिर हो रहा है कि उन्हें सिर्फ अपनी सरकार बनाने और उसे बचाने से मतलब  है, लेकिन अगर यही आलम रहा, तो ज्यादा दिनों तक उनकी सरकार बच नहीं पाएगी। खैर, अब आगे आपको बताते हैं कि आखिर सूबे में क्यों आर्थिक संकट गहराया हुआ है?

क्यों गहराया आर्थिक संकट? 

हिमचाल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को करीब से समझने वाले वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश का खजाना 1000 करोड़ रुपए के ओवर ड्रॉफ्ट चल रहा है। हालांकि, सरकार ने अपनी आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करने के प्लान के तहत 800 करोड़ के लोन के लिए आवेदन कर दिया है। वहीं सरकारी खजाना 200 करोड़ के ओवरड्राफ्ट में चल रहा है। यही कारण है कि सरकार अपने विभाग में कार्यरत कई कर्मचारियों की सैलरी अब तक नहीं दे पाई है। हालांकि, सरकार यह दावा कर रही है कि बहुत ही जल्द इस आर्थिक बदहाली को दुरूस्त कर लिया जाएगा। लेकिन, अब यह आर्थिक बदहाली को सरकार कब तक दुरूस्त कर पाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, HRTC विभाग में तकरीबन 12 हजार कर्मचारी वेतन नहीं मिल पाने की वजह से त्रस्त हैं। वहीं अन्य विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर यह आंकड़ा 15 हजार के पार पहुंच जाता है, जिससे सुक्खू सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठना लाजिमी है।

यह स्थिति भविष्य के लिए ठीक नहीं 

ध्यान दें कि यह स्थिति सुक्खू सरकार के लिए भविष्य के लिहाज से सही नहीं मानी जा रही है। सरकार को 11 हजार करोड़ का लोन भी लौटाना है। ऐसी सूरत अगर आर्थिक मोर्चे पर  सरकार इस कदर डगमाएगी तो पूर्व के लोन कैसे चुकता कर पाएगी। इस बीच केंद्र ने हिमाचल की लोन लेने की लिमिट 5 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी कर दी है। इन आर्थिक कुप्रंधनों की वजह से प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का दर 3.5  के आंकड़े पर पहुंच चुका है, जिस पर बीजेपी हमलावर हो चुकी है, लेकिन इससे राहत की बात यह है कि इस स्थिति सरकार को आसानी से 9 हजार करोड़ रुपए का लोन आसानी से मिल जाएगा। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सरकार की ओर से आर्थिक मोर्चे पर क्या कुछ कदम उठाया जाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।