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Swami Prasad Maurya: ज्ञानवापी पर सीएम योगी के बयान से तिलमिलाए स्वामी प्रसाद मौर्य, कही ये बात

Swami Prasad Maurya: स्वामी के इस बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने स्वामी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब आर बीजेपी में थे, तब इस तरह के बयान क्यों नहीं दिए और अब सपा का दामन थामकर, वो भी चुनावी माहौल जनता को बरगलाने के मकसद से इस तरह के बयान दे रहे हैं, लेकिन मैं आपको स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि ना ही बौद्ध समुदाय आपके झांसे में आना वाला है और मुस्लिम समुदाय आपके झांसे में आना वाला है।

नई दिल्ली। ज्ञानवापी मुद्दे पर सीएम योगी द्वारा दिए गए बयान के बाद प्रतिक्रियाओं का बाजार गुलजार हो गया है। आलम यह है कि सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर प्रदेश के कई बड़े नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। ज्ञानवापी पर सीएम योगी के बयान के बाद सियासी तपिश अपने चरम पर पहुंच चुकी है। अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस पर बयान दिया है। आखिर उन्होंने क्या कुछ कहा है। आगे हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताएंगे लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर सीएम योगी ने ज्ञानवापी पर क्या कहा है? बता दें कि सीएम योगी ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में दो टूक कह दिया है कि ज्ञानवापी मंदिर है। मुस्लिम पक्ष से ऐतिहासिक त्रुटि हुई है। जिसे उन्हें स्वीकार करना चाहिए। सीएम योगी ने कहा कि इस विवाद को सुलझाने की दिशा में मुस्लिम पक्ष की ओर से सकारात्मक प्रस्ताव आना चाहिए।

इसके अलावा सीएम योगी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आड़े हाथों लिया। वहीं, सीएम योगी द्वारा ज्ञानवापी पर दिए गए बयान पर सपा महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना रोष जाहिर किया है। आइए, आगे जानते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कुछ कहा है?

स्वामी प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी द्वारा ज्ञानवापी पर दिए बयान पर कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद है, इसलिए यह मसला कोर्ट में गया है। अगर यह मंदिर होता, तो यह विवाद कोर्ट में जाता ही नहीं। स्वामी ने कहा कि जब तक इस पर कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता है, तब तक यह मस्जिद ही रहेगा। इस पर बेकार का विवाद खड़ा नहीं करना चाहिेए। सपा महासचिव ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। ध्यान दें कि इससे पहले बीते रविवार को भी स्वामी ने कहा था कि बीजेपी को मंदिर में मस्जिद ढूंढना छोड़ देना चाहिए। अगर पार्टी ऐसा करेगी तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। स्वामी यहीं नहीं रूके। उन्होंने आगे कहा कि अगर मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मौजूद हैं, तो मैं यह भी कहना चाहता हूं कि मंदिर के नीचे बौद्ध मठ मौजूद हैं। स्वामी ने ज्ञानवापी के संदर्भ में एएसआई को सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें हर मस्जिद का सर्वे करने के दौरान यह भी पता लगाना चाहिए वहां मंदिर से पहले बौद्ध मठ तो नहीं था।

उधर, स्वामी के इस बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने स्वामी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब आप बीजेपी में थे, तब इस तरह के बयान क्यों नहीं दिए और अब सपा का दामन थामकर, वो भी चुनावी माहौल जनता को बरगलाने के मकसद से इस तरह के बयान दे रहे हैं, लेकिन मैं आपको स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि ना ही बौद्ध समुदाय आपके झांसे में आना वाला है और ना ही मुस्लिम समुदाय। मेहरबानी करके आप इस तरह के बयान देना बंद कीजिए। आगे हमने बसपा प्रमुख का ट्वीट भी लगाया हुआ है, जिसमें आप देख सकते हैं कि कैसे उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को निशान मे पर लिया है ।

इसके अलावा ज्ञानवापी मस्जिद की बात करें, तो हिंदू पक्ष की पांच महिलाओं की ओर बीते वर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल कर वहां पूजा करने की मांग की गई थी। हिंदू पक्ष का कहा है कि ज्ञानवापी कालांतर में मंदिर था, जिसे मुगल आक्रमणकारियों ने ध्वस्त कर उसे मंदिर का स्वरूप दिया था। लिहाजा, वहां मंदिर निर्माण किया जाना चाहिए। वहीं, मुस्लिम पक्ष हिंदू पक्ष द्वारा दिए जा रहे इन दलीलों को सिरे से खारिज कर रहे हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां मस्जिद ही था और मस्जिद ही रहेगा। लिहाजा, अब यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। ध्यान दें कि एएसआई के सर्वे के द्वारा ही पता लगेगा कि वहां मंदिर है या मस्जिद?

GAYANVAPI

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग को ध्यान में रखते हुए ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने का निर्देश दिया था, जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया था। दरअसल, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सर्वे से मस्जिद को क्षति पहुंच सकती है, लेकिन कोर्ट स्पष्ट कर चुकी है कि सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर में किसी भी प्रकार की खुदाई नहीं की जाएगी। बहरहाल, अब इस पर आगामी 3 अगस्त को सुनवाई होगी। ऐसे में यह मामला क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।