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farmers Protest: सरकार व किसानों के बीच बनी सहमति, आधिकारिक खत मिलते ही आंदोलन पर किसान लेंगे फैसला

एसकेएम गुरुवार दोपहर 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर फिर से बैठक करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की तरफ से जो संसोधित प्रस्ताव मिला है उसमें सरकार ने किसान आन्दोलन के दौरान अलग-अलग राज्यों में हुई एफआईआर को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की बात मानी है।

नई दिल्ली। लगभग एक साल से चल रहा किसान आन्दोलन अब खत्म होने की ओर है। प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का एलान किया था और इसके बाद संसद के दोनों सदनों से इस कानून को वापस ले लिया गया है। हालांकि किसानों को अभी कुछ अन्य बिन्दुओं को लेकर आपत्ति है। इसीलिए किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं। कृषि कानून वापस लेने के बाद सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी है। सरकार द्वारा किसानों की मांगों पर विचार किया जा रहा है। वहीं बुधवार को किसान नेताओं की हुई बैठक के बाद अब बात बनती हुई नजर आ रही है।

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कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक खत्म हो गई है और संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि सरकार के प्रस्ताव पर हम सभी सहमत हैं। सरकार की ओर से लिखित में आते ही आंदोलन पर फैसला लिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि, भारत सरकार से एक संशोधित मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए एसकेएम के भीतर एक आम सहमति बन गई है। अब, सरकार के लेटरहेड पर हस्ताक्षर किए गए औपचारिक पत्र की प्रतीक्षा है।

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एसकेएम गुरुवार दोपहर 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर फिर से बैठक करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की तरफ से जो संसोधित प्रस्ताव मिला है उसमें सरकार ने किसान आन्दोलन के दौरान अलग-अलग राज्यों में हुई एफआईआर को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की बात मानी है। वहीं एमएसपी पर बनने वाली कमेटी पर भी एसकेएम के प्रतिनिथि भी शामिल होंगे और इलेक्ट्रीसिटी बिल पर भी एसकेएम प्रतिनिधियों से बात के बाद ही संसद में पेश करना शामिल है।

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वहीं, पहले माना जा रहा था कि अब सरकार किसानों की किसी भी मांग के आगे झुकने को कतई तैयार नहीं है, लेकिन विगत मंगलवार से ऐसी सुगबुगाहटें तेज हो गईं है कि सरकार किसानों की सभी मांगों के आगे नतमस्तक हो सकती है और अगर ऐसा हुआ तो किसान आंदोलन से अपने कदम पीछे खींचने पर विचार कर सकते हैं। इस संदर्भ में कई किसानों और सरकार के नुमाइंदों के बीच बैठक हई थी और ऐसी खबरें भी आनी शुरू हो गई थी कि किसान आंदोलन को विराम दे सकते हैं, लेकिन इसे लेकर पुख्ता तौर पर कुछ भी कहना अतिश्योक्ति या अतिशीघ्रता हो सकती है। लिहाजा आज यानी की बुधवार फिर से किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच बैठक का सिलसिला शुरू हो चुका है।