newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

कांग्रेस के नाम दर्ज है फोन टैपिंग के पाप का इतिहास, अमर सिंह, ममता और यहां तक कि प्रणव को भी नहीं बख्शा !

मोदी सरकार पर फोन टैप कराने का आरोप कांग्रेस लगाती तो रही है, लेकिन उसके खुद के हाथ फोन टैपिंग के पाप से रंगे हुए हैं। यूपीए के दौर में ऐसे एक-दो नहीं, बीसियों मामले आए जब सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर फोन टैप किए गए।

नई दिल्ली। मोदी सरकार पर फोन टैप कराने का आरोप कांग्रेस लगाती तो रही है, लेकिन उसके खुद के हाथ फोन टैपिंग के पाप से रंगे हुए हैं। यूपीए के दौर में ऐसे एक-दो नहीं, बीसियों मामले आए जब सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर फोन टैप किए गए। आलम यह था कि हर महीने 9000 से अधिक फोन कांग्रेस के दौर में टैप किए गए। गैरों की बात छोड़िए, कांग्रेस ने तो अपनों तक को नहीं बख्शा। 19 जनवरी 2006 को समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह ने इल्जाम लगाया कि मनमोहन सरकार ने उनका फोन टैप कराया है।

Amar Singh

बाद में दूसरे विपक्षी नेताओं जैसे सीताराम येचुरी, जयललिता, सीबी नायडू वगैरा ने भी यही आरोप लगाया। इस पर तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह का जवाब बेहद दिलचस्प था। उन्होंने कहा था कि ये फोन टैपिंग सरकार ने नहीं, बल्कि एक प्राइवेट एजेंसी ने कराई है। इस सिलसिले में भूपिंदर सिंह नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया।

17 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल की सीपीएम सरकार पर अपना फोन, ई-मेल और यहां तक कि एसएमएस तक टैप करने का संगीन आरोप लगाया। इसके बाद 26 अप्रैल 2010 को संसद में फोन टैपिंग पर प्रलय की स्थिति आई। आखिर तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि इस मुद्दे पर पीएम मनमोहन सिंह अपना पक्ष रखेंगे। मनमोहन सिंह ने इस मामले में विपक्ष की जेपीसी की मांग को खारिज कर दी थी।

Pranab Mukherjee

14 दिसंबर 2010 को एक बड़ा खुलासा हुआ। खुद उस समय के पीएम मनमोहन सिंह ने माना कि टॉप कार्पोरेट शख्सियतों के फोन टैप किए गए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, टैक्स चोरी और मनी लॉंड्रिंग के ग्राउंड पर इसकी तरफदारी की। इसके अगले ही दिन उन्होंने कैबिनेट सेक्रेटरी को फोन टैपिंग के मामले को देखने और इस तरह की लीक को रोकने की खातिर कानूनी ढांचा मजबूत करने का आदेश दिया।

अगली तारीख है 22 जून 2011 जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की एक चिट्ठी से भूचाल आ गया। प्रणव मुखर्जी ने पीएम को एक चिट्ठी लिखकर अपने दफ्तर की बगिंग के बारे में एक सीक्रेट जांच कराने का अनुरोध किया। खास बात यह थी कि इसका ठीकरा उनके ही कैबिनेट के सहयोगी पर था। दिलचस्प बात यह भी रही कि डिबगिंग करने यानी जासूसी के उपकरण को निकालने का जिम्मा आईबी की जगह सीबीडीटी को सौंपा गया।

22 मई 2011 को यूपीए सरकार ने सीबीडीटी को फोन टैपिंग जारी रखने का आदेश दिया। यह तब हुआ, जबकि कमेटी ऑफ सेक्रेटरीज ने इसके खिलाफ सिफारिश की। 23 जून 2011 को सीबीईसी के चेयरमैन एस. दत्त ने डीआरआई पर अपने फोन टैप करने का आरोप लगाया। इसके बाद 6 फरवरी 2013 को एसपी लीडर अमर सिंह ने यूपीए पर फोन टैप करने का आरोप जड़ा। 13 जून 2021 को बीजेपी ने राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार पर फोन टैप करने का आरोप लगाया। अहम बात यह भी है कि गहलोत सरकार पर उसके वर्तमान कार्यकाल में खुद कांग्रेस के विधायक ही फोन टैपिंग का संगीन आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के नाम पर फोन टैपिंग और स्नूपिंग के पापों की भरी पूरी गठरी है। जो आजाद भारत का बेहद काला इतिहास है।