नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे देश की निगाहें इसी ओर टिकी हुई हैं। कोई सरकार के पक्ष में अपनी बात रख रहा है तो कोई विरोध करने के नए-नए तरीके खोज रहा है। चुनाव प्रचार के सभी पार्टियां अपने-अपने गाने को रिलीज करने में लगी हुई हैं ताकि जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया जा सके। इसी बीच जाने माने लेखक जावेद अख्तर ने बीजेपी के नारे “सोच ईमानदार, काम दमदार” को लेकर खिंचाई करनी चाही लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने शब्दों का इतिहास तक बता डाला।
दरअसल जावेद अख्तर बीजेपी के इस स्लोगन को ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश बीजेपी का नारा देखकर अच्छा लगा.. सोच ईमानदार काम दमदार, लेकिन इसमें चार में से तीन शब्द उर्दू के हैं- ईमानदार, काम और दमदार। जावेद अख्तर के इस ट्वीट को लेकर लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा कि उर्दू भी तो भारत की ही है जैसे हिंदी है। ऐसे कुछ यूजर्स ने लिखा कि सरकार हिंदी उर्दू में फर्क नहीं करती लेकिन कुछ लोग इसमें भी बंटवारा कर देते हैं।
Nice to see that the slogan of UP BJP “ soch imaandar kaaam dumdaar “ has out of four three urdu words , imaandar , kaam and Damdar .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) December 7, 2021
आइये हम आपको कुछ ऐसी प्रतिक्रियाएं दिखाते हैं।
शशांक शेखर झा ने लिखा कि काम सचमुच संस्कृत शब्द कर्म से लिया गया है।
Kaam literally is derived from Sanskrit word Karma ! ?
— Shashank Shekhar Jha (@shashank_ssj) December 7, 2021
पुष्पा अजय सिंह नाम के यूजर ने लिखा कि “चिच्चा उर्दू की हकीकत भी देख लो वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कामदार इसलिए फिर से एक बार योगी सरकार जय हो योगी महाराज”
चिच्चा उर्दू की हकीकत भी देख लो ?
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं
कामदार इसलिए फिर से एक बार योगी सरकार
जय हो योगी महाराज ✌️?? pic.twitter.com/nbKC4C6RJp— Pushpa Ajay Singh?? (@singhpushpa1) December 7, 2021
चन्द्र प्रकाश नाम के यूजर ने लिखा कि जावेद मियाँ, ‘ईमानदार’ फ़ारसी है, पारसियों की भाषा जिन्हें इस्लाम ने ईरान से मारकर भगा दिया था। ‘काम’ हिंदी का शब्द है, संस्कृत के ‘कर्म’ से बना है। ‘दम’ भी संस्कृत है, जिसका अर्थ है ‘शक्तिशाली व्यक्ति जिसने इंद्रियों पर वश पा लिया’। तुलसीदास ने लिखा है- बल विवेक दम परहित घोरे..
जावेद मियाँ, ‘ईमानदार’ फ़ारसी है, पारसियों की भाषा जिन्हें इस्लाम ने ईरान से मारकर भगा दिया था।
‘काम’ हिंदी का शब्द है, संस्कृत के ‘कर्म’ से बना है।
‘दम’ भी संस्कृत है, जिसका अर्थ है ‘शक्तिशाली व्यक्ति जिसने इंद्रियों पर वश पा लिया’। तुलसीदास ने लिखा है- बल विवेक दम परहित घोरे…— Chandra Prakash (@CPism) December 7, 2021
Sir ji Urdu is a Indian origin language
It’s another name is HindustaniJo Hamare desh ka hai humko uspe garav hai
— Sukkhi Sandhu (@sukkhisandhu) December 7, 2021
राकेश गोयल नाम के यूजर ने लिखा कि यही सोच कर खुश हो रहे हैं कि भाजपा उर्दू का उपयोग /सम्मान कर रही है। जिस दिन यह समझ में आ जाएगा कि भाजपा आतंकवादियों और उनके समर्थकों को छोड़कर राष्ट्रभक्त और अन्य धर्मों का सम्मान करने वाले मुसलमानों को भी अपना समझती है, जावेदजी भाजपा ज्वाईन कर लेगें !
यही सोच कर खुश हो रहे हैं कि भाजपा उर्दू का उपयोग /सम्मान कर रही है। जिस दिन यह समझ में आ जाएगा कि भाजपा आतंकवादियों और उनके समर्थकों को छोड़कर राष्ट्रभक्त और अन्य धर्मों का सम्मान करने वाले मुसलमानों को भी अपना समझती है, जावेदजी भाजपा ज्वाईन कर लेगें ! #APJ_Abdul_Kalam
— Rakesh Goel (@Rkgoel_cgpwd) December 7, 2021
एक अन्य यूजर ने लिखा कि कार्य की समर्पित भावनाओं को सांप्रदायिक शब्दो मे रंगने का कार्य आप जैसे महा बुद्धिमान लोग ही करते है। काश… उर्दू जुबान के लोगों को वैदिक श्लोगन…. सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामयः….. पर भी गूढता से सोचने का ज्ञान आप द्वारा दिया जाता। जय हिंद।
कार्य की समर्पित भावनाओं को सांप्रदायिक शब्दो मे रंगने का कार्य आप जैसे महा बुद्धिमान लोग ही करते है।
काश…
उर्दू जुबान के लोगों को वैदिक श्लोगन….सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामयः…..
पर भी गूढता से सोचने का ज्ञान आप द्वारा दिया जाता।
जय हिंद।— आशीष अवस्थी (@AsheeshKumarAw2) December 7, 2021
देखिए कुछ अन्य प्रतिक्रियाएं
जावेद जी,सच तो यह भी है कि गंगा जमुनी तहजीब वाली उर्दू प्रायः हिंदी के देवनागरी में ही लिखी जाती है।आपको मालूम हो कि अधिकतम गालियां उर्दू और फारसी में मादर#$,BSK,हरामजादा,हरामखोर, बेईमान जैसे अनगिनत गालियां उर्दू और फ़ारसी से ही तो मिले हैं….
— Manoj Kr.Srivastava (@sri_stuntman) December 7, 2021
क्या बात है चचा, कुछ ना कुछ नया ढूंढ ही लेते हो जलील होने के लिए, बढ़िया है, लगे रहो.
— Manoj Agrawal ?? (@manoj_indore) December 7, 2021
जावेद साहेब,हैरानी तो इस बात पर है कि गंगा जमुनी तहजीब वाली उर्दू,अक्सर हिंदी के देवनागरी में ही लिखी जाती है। ज्यादातर गालियां भी उर्दू और फारसी की ही देन है। जैसे – मादर#$,BSK,हरामजादा,हरामखोर,बेईमान ,अब ये भी तो मिली है हमें ।???
— Alok Mishra (@AlokMis05475717) December 7, 2021
?
उर्दू भाषा में शब्द ईरानियन ( फारसी), अरबी, तुर्की, अफगानी भाषा से लिए गए है।
दूसरी तरफ शुद्ध हिंदी भाषा में सभी शब्द देसी है। यहीं के है।
उर्दू को उर्दू रहने दें।
हिन्दी में उर्दू शब्द का उपयोग ना करें।?— Mumbai Vada Pav ? (@VadaPav8) December 7, 2021
लोगो को जान से मारना
धर्म बदलने को मजबूर करना वरना जान से मार देना
छोटी बच्चियों से रेप करना
एक निहत्थे आदमी को बीच सड़क में भीड़ का जिंदा जला देना
ये सब कहा से निकला है वो भी बता दो चच्चा— vicky singh ?? (@vicky_singh_12) December 7, 2021
उर्दू आपकी बपौति है क्या ? या आपकी प्रिय तुष्टिकरण वाली पार्टी की, फर्जी कहानियों में सनातनियों को गुंडा मवाली चोर डकैत और अपनों को मसीहा बताकर पूरी पीढ़ी के मन में जहर घोलने वाले लेखकों को जनता समझ चुकि है,फुदकते रहो अब तुष्टिकरण बंद मतलब बंद, सब समान
— Dinesh Mittal ?? (@dineshmittal3) December 7, 2021