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MQ-9B Drone Deal: सोशल मीडिया पर ‘प्रीडेटर ड्रोन’ की कीमतों को लेकर फैली अफवाहों को रक्षा मंत्रालय ने किया ख़ारिज, बताई ये सच्चाई

MQ-9B Drone Deal: यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और तकनीकी सहयोग के माध्यम से एक साझी सुरक्षा दृष्टिकोण को प्रकट करता है। इसके माध्यम से, दोनों देश एक दूसरे की रक्षा क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं और एक अद्यतन और विकास के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं। इस ड्रोन की खरीद भारतीय रक्षा उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। यह सौदा न केवल तकनीकी सहयोग प्रदान करता है, बल्कि भारतीय उद्योगों को भी अपने क्षेत्र में प्रगति करने और विकास करने का अवसर देता है।

नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए कीमत और अन्य शर्तों को अभी तक तय नहीं किया है। रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर फैली गलत सूचना को खारिज किया है और लोगों से फर्जी खबरों का प्रसार न करने की अपील की है। ड्रोन खरीद लागत की तुलना में, विनिर्माता जनरल एटॉमिक्स (GA) की दूसरे देशों को बेची गई कीमत से होगी और खरीद निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन, प्रीडेटर के मुकाबले 500% अधिक पेलोड ले जा सकता है और हॉर्स पावर में 9 गुना ताकत है। इस ड्रोन की क्षमता में लगातार निगरानी करने के अलावा कई अन्य फीचर्स हैं, जैसे कि इसकी क्षमता 27 घंटे से अधिक है, यह 240 केटीएएस की स्पीड में उड़ सकता है, और यह 50,000 फीट तक उड़ान भर सकता है। भारत को इस ड्रोन की खरीद से हिंद महासागर और चीन के साथ लगी सीमा पर निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा।

mq9 drone 1

ड्रोन खरीद से भारत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव होगा। यह एक अत्यंत प्रभावी और अत्याधुनिक उपकरण है जो सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी, जासूसी और सुरक्षा कार्यों में मदद करेगा। एमक्यू-9बी रीपर ड्रोन के माध्यम से, भारत संगठित आपत्ति के समय या सीमा क्षेत्रों में सतर्कता को बढ़ा सकेगा। इसकी लंबी उड़ान और बड़ी पेलोड क्षमता के कारण, यह लक्ष्यों को निश्चित करने और निर्देशों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए उपयुक्त होगा। इस ड्रोन की खरीद भारत के राष्ट्रीय रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी कदम है, क्योंकि यह भारतीय सुरक्षा बलों को प्रभावी निगरानी, संगठन, और संयोजन की सुविधा प्रदान करेगा। इससे देश की सुरक्षा में एक मजबूती आएगी और विपणन, आतंकवाद और नशीली वस्तुओं के विरूद्ध लड़ाई में मदद मिलेगी। यह सौदा भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और भी मजबूत और गहरा करेगा।

यह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और तकनीकी सहयोग के माध्यम से एक साझी सुरक्षा दृष्टिकोण को प्रकट करता है। इसके माध्यम से, दोनों देश एक दूसरे की रक्षा क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं और एक अद्यतन और विकास के लिए संयुक्त रूप से काम कर सकते हैं। इस ड्रोन की खरीद भारतीय रक्षा उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। यह सौदा न केवल तकनीकी सहयोग प्रदान करता है, बल्कि भारतीय उद्योगों को भी अपने क्षेत्र में प्रगति करने और विकास करने का अवसर देता है। इससे उद्यमिता बढ़ेगी, नई रोजगार के अवसर पैदा होंगे, और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और निर्माण क्षेत्र में भारत की स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता में सुधार होगा।