newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Brigadier’s daughter’s book: कुन्नूर हादसे में शहीद ब्रिगेडिर लिड्डर की बेटी द्वारा लिखी गई किताब की भारी डिमांड, 4 दिन में बिक गई सारी प्रतियां

अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। कुछ माह बाद उनके एग्जाम होने वाले हैं, लेकिन एग्जाम से पहले इस हादसे ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया है, लेकिन उससे पहले आशना द्वारा लिखी किताब बाजार में खूब छायी हुई है। इस किताब को आशाना ने खुद लिखा है।

नई दिल्ली। बेहद तकलीफ देह स्थिति है। आंखों में अश्कों का दरिया उफान पर है। दिल भरा हुआ है। आलम वीरान है। सभी एकांत में शोक मना रहे हैं। कोई गुफ्तगू करने की स्थिति में नहीं है। कहना मुश्किल है कि सिर पर टूटा गमों का पहाड़ कब तक ढहेगा। बेबसी का आलम कुछ ऐसा है कि कुछ कहने से पहले ही जुबां लड़खड़ा रहे हैं। ऐसी ही कुछ स्थिति जनरल बिपिन रावत समेत उन घरों के हैं, जिनके अपने उन्हें अब हमेशा के लिए अलविदा कह गए हैं। परिवार गमों से बाहर निकलने की भरसक कोशिश कर रहा है। इसी बीच कुन्नूर हादसे में जान गंवाने वाले ब्रिगेडियर लिड्डर की बेटी अपने मां से कहतीं हैं कि मां तुम मत रोना..पापा बहुत बहादुर थे..तुम भी पापा की तरह बहादुर बनना.. अपनी बेटी की नन्हीं सी जुबां से इन प्रेरणादायी अल्फाजों के सुनकर ब्रिगेडियर लिड्डर की पत्नी की आंखें नम हो जाती हैं। दिवंगत ब्रिगेडियर की बेटी आशना बहुत होनहार है।

brigadear liddar

अभी वो 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं। कुछ माह बाद उनके एग्जाम होने वाले हैं, लेकिन एग्जाम से पहले इस हादसे ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया है, लेकिन उससे पहले आशना द्वारा लिखी किताब बाजार में खूब छायी हुई है। इस किताब को आशाना ने खुद लिखा है। अभी बाजार में इसकी मांग अपने चरम पर है। किताब का नाम सोल्ड आउट है। प्रकाशक बता रहे हैं कि इसकी भारी मांग को देखते हुए अभी इसकी और प्रतियां प्रकाशित करनी होगी। इस किताब को लोग पढ़ना चाहते हैं। जानना चाहते हैं कि इसमें क्या लिखा है। आशाना ने इस किताब में एक किशोर और किशोरियों के मन में चल रहे भारी उथल-पुथल और चिंतन मंथन के बारे में बयां किया है। उन्होंने इस किताब के जरिए किशोर और किशोरियों को जीवन में महान लक्ष्यों को निर्धारित कर उसे पाने के लिए प्रेरित  किया है। ब्रिगेडियर लिड्डर की बेटी आशान द्वारा लिखे गए इस किताब को लोग पढ़ना चाहते हैं।लोग इस किबात को पढ़ना चाहता है। 17 वर्षीय आशाना अभी 12वीं कक्षा में पढ़ती हैं।

brigadear

आशाना के दोस्त बताते हैं कि वे बहुत ही बहादुर, दयालु , सहयोगी और मेहनती लड़की है। आशाना के परिवार पर टूटे इस गमों के पहाड़ से उसके दोस्त भी काफी दुखी हैं और इस मुश्किल घड़ी में वो आशाना को ढाढंस बंधा रहे हैं। आशाना का परिवार अभी कैमरे से दूर रहकर शोक मना रहा है। कोई भी अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। आशाना कहती है कि 17 सालों में अब तक वो 7 बार अपने पिता के संग जन्मदिन मना चुकी है। वहीं, ब्रिगेडियर लिड्डर ने अभी शादी के 25 वर्ष पूरे ही किए थे, लेकिन जीवन के आधे ही पड़ाव पर वे अपने परिवार को अलविदा कह गए। यकीनन, यह परिवार अभी ब्रिगेडियर समेत उन सभी परिवारों के लिए दुखभरा  है, जिन्होंने हेलीकॉप्टर हादसे के दौरान अपनी जान गंवाई है। पूरा देश इनके गम में शरीक है और हादसे में जान गंवाने वाले शीर्ष सैन्य अधिकारियों के परिजनों को ढांढस बंधा रहे हैं। वहीं, कुन्नूर हादसे की जांच करने के लिए भारतीय वायुसेना की तरफ से जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं। वायुसेना के शीर्ष अधिकारी मानवेंद्र सिंह की अगुवाई में इसकी जांच की जाएगी। देश जानना चाहता है कि आखिर इस प्लेन क्रैश की वजह क्या रही और इसके साथ ही कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं, जिनके जवाब जांच के बाद मिल पाएंगे।