नई दिल्ली। कोरोनावायरस का प्रकोप पूरी दुंनिया में फैलता जा रहा है। उसी तरह इसका इलाज ढूंढने में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं। भारत में भी कई कंपनियां इसकी दवाओं को लेकर टेस्टिंग कर रही है। और कुछ को क्लिनिकल ट्रायल की परमिशन भी मिल गई है।
अमेरिकन यूनिवर्सिटीज में भी दो-तीन दवाओं पर काम चल रहा है। ये दवाएं कोरोना के खिलाफ जंग जीतने की उम्मीद हैं। इन दवाओं के शुरुआती नतीजे भी हिम्मत देते हैं। कुछ दवाओं की डोज कोरोना वायरस के मरीजों को दी गई तो उनकी तबीयत में सुधार देखने को मिला है। हालांकि ये सभी नतीजे शुरुआती हैं और पुख्ता तरीके से इनकी पड़ताल के बाद ही अप्रूवल मिल पाएगा।
कोरोना से लड़ाई में अबतक की सबसे प्रभावी दवा बताई जा रही है। अमेरिका में इसके थर्ड स्टेज की टेस्टिंग में पॉजिटिव रिजल्ट्स आए हैं। कैलिफोर्निया की दवा कंपनी गिलीड साइंसेज ने कहा है कि शुरुआती रिजल्ट्स बताते हैं कि ‘रेम्डेसिविर’ दवा की 5 दिन की खुराक के बाद COVID-19 के मरीजों में से 50 प्रतिशत की हालत में सुधार हुआ। उनमें से आधे से अधिक को दो सप्ताह के भीतर छुट्टी दे दी गई।
थर्ड स्टेज की टेस्टिंग के बाद ही दवा को अप्रूवल मिलता है। ‘रेम्डेसिविर’ दवा को हालांकि विश्व में अभी कोई मंजूरी या लाइसेंस नहीं मिला है और न ही कोविड-19 के उपचार में यह अभी तक सुरक्षित या प्रभावी साबित हुई है। ‘रेम्डेसिविर’ को इबोला के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह वायरस को शरीर के भीतर अपने क्लोन बनाने से रोक सके।
BCG का भी क्लिनिकल ट्रायल
भारत के कुछ राज्यों में प्लाज्मा थेरपी से अच्छे नतीजे आए हैं। अब ट्यूबरक्यूलोसिस (TB) की दवा BCG यानी Bacillus Calmette-Guerin से कोरोना के इलाज की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। अमेरिका के हॉफकिन रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक महाराष्ट्र के मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट (एमईडी) के साथ मिलकरक्लिनिकल ट्रायल की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि शुरुआती टेस्ट्स में BCG कॉन्सेप्ट के नतीजे बेहतर आए हैं, इसीलिए इसके परीक्षण की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं।
Gimsilumab का यूएस में ट्रायल
अमेरिका के टेंपल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी Gimsilumab का टेस्ट मरीजों पर शुरू किया है। यह उन फैक्टर्स को टारगेट करती है जो COVID-19 की वजह से फेफड़े खराब करते हैं। इस दवा का कई बार नॉन-क्लिनिकल ट्रायल हो चुका है और दो बार क्लिनिकल स्टडी हुई है। सारे डेटा ये कहते हैं कि ये दवा सेफ है और इंसानी शरीर इसे बर्दाश्त कर सकता है।
और भी कई दवाओं से उम्मीद
देश और दुनिया में और भी कई दवाओं पर ट्रायल हो रहा है। एम्स भोपाल में माइक्रोबैक्टीरियम-डब्ल्यू (MW) का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। अमेरिका में एयरवे थेरेपॉटिक्स नाम की कंपनी AT-100 प्रोटीन पर ट्रायल कर रही है। इसके अलावा तियाना लाइफ साइंसेज नाम की कंपनी कोविड-19 के लिए TZLS-501 नाम की मोनोक्लोनल एंटीबॉडी डेवलप कर रही है। OyaGen ने OYA1 नाम के ड्रग का टेस्ट शुरू किया है। BeyondSpring ने BPI-002 नाम के मॉलिक्यूल एजेंट पर रिसर्च शुरू कर दी है। इसके अलावा Hydroxychloroquine को लेकर भी रिसर्च हो रहा है मगर उसके नतीजे उतने उत्साहवर्द्धक नहीं रहे, जितनी उम्मीद थी।