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Fodder Scam: इस तरह एक IAS ने किया था उस चारा घोटाले का खुलासा, जिसमें लालू को हुई है लंबी सजा

अमित के मुताबिक उन्होंने पुलिस को सारे रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का जिम्मा सौंपा, ताकि इनमें हेरफेर न किया जा सके। एजी के दफ्तर और बिहार के वित्त विभाग से जानकारी मांगी, तो पता चला कि पशुपालन विभाग ने सालभर के बजट से ज्यादा की रकम निकाल ली है।

पटना। वो साल था 1996। जब अचानक जनवरी के महीने में चारा घोटाले का खुलासा होना शुरू हुआ। सैकड़ों करोड़ के इस घोटाले को बड़े करीने से अंजाम दिया गया था। अगर एक आईएएस अफसर की निगाह न पड़ी होती, तो इस मामले में और सरकारी धन के हेरफेर का काम होता। बहरहाल, इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव और अन्य लोगों को पांचवें केस में भी सजा होने के बाद ये चर्चा सभी कर रहे हैं कि आखिर इतना बड़ा घोटाला हुआ कैसे और किस तरह इसका खुलासा हुआ। इस बारे में चाईबासा के तत्कालीन डीसी रहे अमित खरे ने पूरी जानकारी दी है। एक न्यूज एजेंसी को अमित ने बताया कि उन्होंने किस तरह घोटाले के तार खोलकर रख दिए।

dc amit khare

अमित खरे के मुताबिक वो चाईबासा के डीसी थे, जब 27 फरवरी को जानकारी मिलने के बाद उन्होंने वहां की ट्रेजरी, पशुपालन विभाग के दफ्तर और जानवरों के एक फार्म पर छापा मारा। सभी बिल जांचने की शुरुआत हुई। पता चला कि हर बिल में 9.9 लाख की रकम ही थी और एक ही सप्लायर ने सभी बिल दिए थे। इससे घोटाले का शक हुआ। जिला पशुपालन अधिकारी और स्टाफ को तलब करने पर वे दफ्तर छोड़कर भाग गए। पशुपालन विभाग के दफ्तर से बड़ी तादाद में रकम, बैंक ड्राफ्ट और फर्जी बिल मिले। फिर दफ्तर को सील किया गया और स्टेट बैंक से कहा गया कि किसी बिल का भुगतान न किया जाए।

अमित के मुताबिक उन्होंने पुलिस को सारे रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का जिम्मा सौंपा, ताकि इनमें हेरफेर न किया जा सके। एजी के दफ्तर और बिहार के वित्त विभाग से जानकारी मांगी, तो पता चला कि पशुपालन विभाग ने सालभर के बजट से ज्यादा की रकम निकाल ली है। इस मामले में पहला एफआईआर दर्ज हुई। बाद में इसे चारा या पशुपालन घोटाले का नाम मिला। फिर देवघर में भी घोटाले के सुराग मिले और फिर बिहार के कई इलाकों में घोटाला किए जाने की जानकारी सीबीआई की जांच में सामने आई।