नई दिल्ली। 27 अक्टूबर, 2013….कुछ याद आया आपको…थोड़ा डालिए दिमाग पर जोर नहीं तो फ्लैशबैक में जाइए और याद करिए उन दिनों की अखबारी सुर्खियों को…याद करीए टीवी पर चलने वाले दृश्यों को…याद करिए उन दिनों के खौफजदा लम्हों को…याद करिए खौफ के चादर में लिपटी उन वीरान गलियों को जहां खौफजदा हुए लोग 27 अक्टूबर के माजरे को लेकर गुफ्तगू कर रहे थे। जी हां…27 अक्टूबर 2013….यह वह तारीख जब प्रधानमंत्री नरेंद्र, तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जनसभा को संबोधित करने गए थे और पीएम मोदी की प्रभावी वाणी की लोकप्रियता से तो आप बखूबी वाकिफ ही होंगे, लिहाजा उनके प्रभावी वाणी की कशिश बेशुमार लोगों को गांधी मैदान खींच लाई। लिहाजा गांधी लोगों की आमद से खचाखच भर गया।
सभी पीएम मोदी के मुख से निकलने वाले शब्दों को सुनने के लिए आए थे, लेकिन इससे पहले की ये लोग उनके मुख से निकलने वाले शब्दों को सुन पाते कि इससे पहले वहां कुछ आतंकवादी हमले की फिराक में बैठे थे, लिहाजा इन आतंकवादियों ने अपने नापाक इरादों को धरातल पर उतारने के ध्येय से हमला कर दिया था और देखते ही हर्ष से उमड़ने वाले चेहरे पल भर में ही लाशों के अंबार में तब्दील हो गए। कब कैसे और किसने इस वारदात को अंजाम दिया। किसी को कानों कान खबर नहीं हुई, लेकिन फिर बाद जब एनआईए की जांच बैठी, तो काफी दिनों की लुक्काछुप्पी के बाद तमाम अपराधी पकड़ में आ गए और इन्हीं अपराधियों को आज यानी की 1 नवंबर 2021 को, किसी को मौत की नींद सुलाने का फैसला सुनाया गया है, तो किसी को सलाखों के पीछे पहुंचाने का फरमान सुनाया गया है। आइए, आपको तफसील से बताते हैं कि आखिर बेशुमार मासूमों को मौत की नींद सलाने वाले आखिर कौन हैं, ये लोग, आखिर क्या है, इन खूंखार अपराधियों की पृष्ठभूमि। चलिए, तफसील जानते हैं, सब कुछ।
आज 1 नवंबर है… कोर्ट रूम में अच्छी खासी संख्या में लोगों को मजमा दिखा… लोगों के जेहन में इस बात को जानने की आतुरता अपने चरम पर थी कि आखिर आज जज साहब क्या फैसला सुनाएंगे। संजीदगी के लिबास में लिपटी सभी लोगों की निगाहें जज साहब के ओर टकटकी लगाए देख रही थी। कुछ लोग तो आपस में ही गुफ्तगू करते दिख रहे थे कि आखिर मासूम लोगों को मौत के घाट उतारने वाले लोगों के लिए क्या फैसला सुनाया जाएगा।
आपको बता दें कि गांधी मैदान ब्लास्ट में 9 आरोपियों को सजा सुनाई गई। जिसमें इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नोमान अंसारी और मुजीबुल्लाह को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं उमेर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा अहमद और फिरोज को कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा इफ्तिखार को 7 साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में 11 लोगों को आपरोपित बनाया गया था, जिसमें एक नाबालिग होने की वजह से उसके मामले की सुनवाई अलग से की गई थी। एनआईए ने इस पूरे मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद 10 अक्टूबर 2014 को कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था। ये आरोपी अभी तक कैद में थे, जिस पर विगत 27 अक्टूबर को सुनवाई भी हुई थी और अब जाकर आखिरकार इन्हें इनके किए की सजा मिलने जा रही है।