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Brahmos Missile For Indian Navy: भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए मोदी सरकार का अहम फैसला, 19000 करोड़ की लागत से 200 ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने को दी हरी झंडी

Brahmos Missile For Indian Navy: इन मिसाइलों को युद्धपोतों के अलावा जमीन, हवा और पनडुब्बी से भी दागा जा सकता है। भारतीय नौसेना लगातार ब्रह्मोस मिसाइलों का परीक्षण करती रहती है और हर परीक्षण में ये मिसाइल पूरी तरह सफल रही है।

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान से खतरे को देखते हुए मोदी सरकार लगातार सेना को आधुनिक बनाने और उसकी ताकत बढ़ाने में जुटी है। इसी कड़ी में अब मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना की ताकत में कई गुना इजाफा करने वाला फैसला किया है। सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी ने भारतीय नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी के लिए बुधवार को 200 से ज्यादा ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दी है। ये पूरा सौदा करीब 19000 करोड़ का होगा। रक्षा मंत्रालय और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के बीच इस सौदे के लिए मार्च में समझौता होने की संभावना है।

ब्रह्मोस मिसाइलें आवाज से दोगुनी गति से उड़ान भरती हैं और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने में इनका कोई जोड़ नहीं है। रूस और भारत के बीच सैन्य समझौते के तहत ब्रह्मोस मिसाइलों को बनाया जाता है। सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों को भारतीय नौसेना के तमाम युद्धपोतों पर तैनात किया गया है। इन मिसाइलों को युद्धपोतों के अलावा जमीन, हवा और पनडुब्बी से भी दागा जा सकता है। भारतीय नौसेना लगातार ब्रह्मोस मिसाइलों का परीक्षण करती रहती है और हर परीक्षण में ये मिसाइल पूरी तरह सफल रही है।

रूस से समझौते के तहत पहले वहीं से कलपुर्जे लाकर ब्रह्मोस मिसाइल बनाई जाती थी, लेकिन अब ब्रह्मोस एयरोस्पेस इस मिसाइल के ज्यादातर हिस्से देश में ही बनाता है। ब्रह्मोस मिसाइल का सौदा भारत ने फिलीपींस से भी किया है। इस तरह पहली बार भारत में बनी तेज गति वाली ये मिसाइल कोई और देश खरीदने जा रहा है। कई और देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रमुख अतुल राणे हैं। उन्होंने कहा था कि फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने के लिए 375 मिलियन डॉलर का समझौता हुआ है। अतुल राणे ने ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात कर 2025 तक 5 अरब डॉलर हासिल करने का लक्ष्य भी तय किया है।