नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि जो हिंदू धर्म को छोड़ चुके हैं और दूसरे धर्म में परिवर्तित हो चुके हैं उनकी घर वापसी होनी चाहिए। चित्रकूट में चल रहे तीन दिवसीय हिन्दू एकता महाकुंभ में संघ प्रमुख मोहन भागवत बोल रहे थे। उन्होंने हिन्दू धर्म छोड़ने वालों की घर वापसी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भय ज्यादा दिन तक बांध नहीं सकता है। अहंकार से एकता टूटती है। हम लोगों को जोड़ने के लिए काम करेंगे। महाकुंभ में शामिल हो रहे लोगों को उन्होंने इसका संकल्प भी दिलाया।
आरएसएस प्रमुख ने शपथ दिलाते हुए कहा कि मैं हिन्दू संस्कृति के धर्मयोद्धा मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की संकल्प स्थली पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को साक्षी मानकर संकल्प लेता हूं कि मैं अपने पवित्र हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू समाज के संरक्षण संवर्धन और सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि किसी भी हिन्दू भाई को हिन्दू धर्म से विमुख नहीं होने दूंगा। जो भाई धर्म छोड़ कर चले गए हैं, उनकी भी घर वापसी के लिए कार्य करूंगा। उन्हें परिवार का हिस्सा बनाऊंगा। मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि हिन्दू बहनों की अस्मिता, सम्मान व शील की रक्षा के लिए सर्वस्व अर्पण करूंगा। जाति, वर्ग, भाषा, पंथ के भेद से ऊपर उठ कर हिन्दू समाज को समरस सशक्त अभेद्य बनाने के लिए पूरी शक्ति से कार्य करूंगा।
#WATCH | RSS chief Mohan Bhagwat administers oath to the attendees of ‘Hindu Ekta Mahakumbh’ in Chitrakoot to work for ‘ghar wapasi’ of those who had left Hinduism & converted to any other religion pic.twitter.com/A5ZimTLx9Q
— ANI UP (@ANINewsUP) December 15, 2021
उन्होंने देव और राक्षसों के बीच हुए द्वंद का किस्सा सुनाया। कहा कि किसी भी पार्टी को राज्य की सत्ता देव के रास्ते पर चलने से ही मिलेगी। बिना किसी पार्टी का नाम लिए उन्होंने कई कटाक्ष किए। मोहन भागवत ने प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि- मैं हिंदू संस्कृति का मर्यादापूर्वक सबकी राजी से संकलप लेता हूं। सर्व समाज मैं अपने पवित्र हिंदू धर्म, संस्कृति, समाज के संरक्षण, संवर्धन, सुरक्षा के लिए आजीवन कार्य करूंगा। वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदुओं को बिखरना नहीं चाहिए। हमें खरबूजा दिखना चाहिए संतरा नहीं। बाहर भले ही धारियां हों लेकिन भीतर से एक हों। गऊ माता को जिंदा दफना दिया जा रहा है। सड़क पर बेहाल घूम रही हैं, गऊ और ब्राह्मण की रक्षा होनी जरूरी है। हर व्यक्ति घर में गाय बैल जरूर पालें। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा में संस्कृत को अनिवार्य किया जाना चाहिए। संस्कृत पाठशालाओं में शिक्षकों की नियुक्ति हो, ताकि जो संस्कार व संस्कृति चाहते, वह मिले। हमें एक होना चाहिए।
कार्यक्रम में चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि मंदाकिनी तट पर आरती का बीड़ा उठाएं। रामचंद्र दासजी महाराज ने हम दो हमारे दो का संकल्प कराया और सरकार से आह्वान किया कि दो बच्चे वालों को ही वोट का अधिकार दिया जाए। साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि शादी बंधन में बंधने से पहले सुनिश्चित करें तन और मन कोरा और पवित्र हो। हिंदुओं के बच्चों को तुलसी के पौधे, गंगाजल से सींचा जाए।