जयपुर। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और जनता, खासकर युवा वर्ग के रुझान ने सत्तारूढ़ कांग्रेस को जोर का झटका अभी से दे दिया है। बात राजस्थान के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में बीते दिनों हुए छात्रसंघ चुनाव की हम कर रहे हैं। राजस्थान के 17 विश्वविद्यालयों और 450 से ज्यादा कॉलेजों में हुए छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई NSUI को शिकस्त का सामना करना पड़ा। यहां तक कि सीएम अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में भी एनएसयूआई के प्रत्याशी हार गए। जबकि, बीजेपी से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP ने 6 विश्वविद्यालयों और 120 से भी ज्यादा कॉलेजों के छात्रसंघ में जीत दर्ज की। 9 विश्वविद्यालयों में निर्दलीय और 2 पर वामपंथी एसएफआई SFI के उम्मीदवार जीत गए।
सिर्फ सीएम गहलोत के गृहनगर में ही एनएसयूआई को झटका नहीं लगा, उसके उम्मीदवार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, राजस्थान के मंत्री मुरारीलाल मीणा, शांति धारीवाल, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बीडी कल्ला, अर्जुन बामणिया और भंवर सिंह भाटी के गृह नगरों में भी बुरी तरह हार गए। छात्रसंघ चुनाव में किस तरह कांग्रेस की किरकिरी हुई है, ये इसी से समझा जा सकता है कि समूचे राजस्थान के एक भी विश्वविद्यालय या कॉलेज में इस संगठन का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता है। सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव ने एनएसयूआई उम्मीदवारों का प्रचार किया था, लेकिन वे जोधपुर मे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय और कॉलेजों में हार गए। जोधपुर से एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी भी हैं, लेकिन चुनाव में वो अपने संगठन के उम्मीदवारों को जिता नहीं सके।
राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे इन छात्रसंघ चुनावों में दुर्गति से कांग्रेस के कान खड़े हो गए हैं। इन चुनावों में एबीवीपी के प्रत्याशियों की जीत से बीजेपी के लिए एक बार फिर राज्य की जनता और खासकर युवाओं में रुझान दिख रहा है। राजस्थान में वैसे भी सरकार रिपीट न होने का रिकॉर्ड है। हालांकि, सीएम अशोक गहलोत समेत तमाम मंत्री और नेता दावा करते हैं कि कांग्रेस इस रिकॉर्ड को तोड़कर दोबारा सरकार बनाएगी, लेकिन राज्य के युवाओं ने फिलहाल ये संकेत दे दिया है कि कांग्रेस के लिए चुनावी वैतरणी पार करना आसान नहीं रहने वाला है।