चंडीगढ़। पंजाब में सत्ता संभालते ही आम आदमी पार्टी AAP और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच एक बड़े मुद्दे पर टकराव हो गया है। ये टकराव बिजली के प्री-पेड मीटर लगाने के मसले पर है। केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार से कहा था कि वो तीन महीने में राज्य के हर घर में प्री-पेड मीटर लगाए और बिजली की चोरी रोके। पंजाब सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया है। सूबे की सरकार का कहना है कि वो प्री-पेड नहीं, बल्कि स्मार्ट मीटर लगाएगी। साथ ही भगवंत मान की सरकार ने केंद्र से ये भी कहा है कि महज तीन महीने में इतनी बड़ी तादाद में बिजली के प्री-पेड मीटर लगाना संभव नहीं है।
दरअसल, मसला ये है कि पंजाब में हर साल लगभग 1200 करोड़ रुपए की बिजली चोरी होती है। केंद्र ने इसी वजह से प्री-पेड मीटर लगाने के लिए कहा था। पंजाब को केंद्र सरकार ने 85000 प्री-पेड मीटर उपलब्ध भी कराए हैं। केंद्र ने इन्हें लगाने के लिए 3 महीने का वक्त दिया और कहा कि अगर मीटर न लगे, तो पंजाब को केंद्र की तरफ से मिलने वाला बिजली सुधार फंड रोक दिया जाएगा। केंद्र के ऐसा कहने पर पंजाब सरकार टकराव के रास्ते पर चल पड़ी। राज्य के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने कहा कि वो केंद्र से मिले बिजली के प्री-पेड मीटर नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि ये मीटर लगाने से सरकार की मुफ्त बिजली योजना में रुकावट आएगी।
दरअसल, प्री-पेड मीटरों को मोबाइल की तरह रिचार्ज किया जा सकता है। रिचार्ज जब तक रहता है, घर में बिजली रहती है। रिचार्ज खत्म होने पर बिजली कट जाती है। इससे हर महीने मीटर रीडिंग भी नहीं करनी होती। वहीं, स्मार्ट मीटर लगने पर बिजली का इस्तेमाल अगर नहीं किया जाता, तो भी कई तरह के चार्ज लगते हैं। इनका भुगतान न करने पर बिजली काट दी जाती है।