नई दिल्ली। पत्रकार राणा अयूब के बारे में तो आप जानते ही होंगे। वो जिस तरह हर मसले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने में मशगूल रहते हैं, उससे तो आप वाकिफ ही होंगे। लेकिन कई बार उनका यह कृत्य उन पर भारी पड़ जाता और नतीजतन लोग उन्हें अपने कहर का शिकार बना लेते हैं। अब आप ही अपनी बुद्धिमत्ता का सहारा लेकर बताइए कि जब उत्तर प्रदेश समेत पांच चुनावी राज्यों में से चार चुनावी राज्यों में बीजेपी अपने नाम का विजयी का पताका फहरा चुकी है। चौतरफा भवगामय के आलम ने पूरी फिजा को मंत्रमुग्ध कर दिया है। जहां देखिए वहीं मोदी-योगी के नारे लग रहे हैं। तो ऐसे में भला हर मसले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने वाली पत्रकार राणा अयूब भला कैसे खामोश रहना मुनासिब समझती। तो लिहाजा उन्होंने भी बिना देरी किए एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने क्या कुछ कहा। आइए, आपको आगे दिखाते हैं।
I think we can stick our neck out and say that 2024 is a foregone conclusion. The opposition needs to start preparing for 2029.
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 10, 2022
तो ये था राणा अयूब का ट्वीट। आपको ये समझने में तनिक भी जहमत नहीं उठानी चाहिए कि उन्होंने यह ट्वीट उत्तर प्रदेश समेत उन राज्यों के संदर्भ में किया था, जहां बीजेपी का विजयी पताका फहराने जा रहा है। राणा अयूब ने अपने ट्वीट में कहा कि, “मुझे लगता है कि हमें इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे पता चल चुके हैं। विपक्षी दलों को 2029 के लिए तैयारी शुरू करने की ज़रूरत है।” राना अय्यूब ने इस ट्वीट पर रिप्लाइज ऑफ कर के रखा है। अब आपको यह समझने में तनिक भी गुरेज नहीं करना चाहिए कि उनके इस ट्वीट में बीजेपी की जीत की वजह से उनकी निराशा अपने चरम पर पहुंच चुकी है, जो कि उनके ट्वीट पर चयनित शब्दों से साफ परिलक्षित होते प्रतीत हो रही है। जिस तरह से उन्होंने कहा कि हमें सत्य स्वीकार करना चाहिए, जो कि यह बयां करने के लिए पर्याप्त है कि वो इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि सूबे में बीजेपी की सरकार बनने से राणा अयूब की खफायत अपने चरम पर पहुंच चुकी है।
बहरहाल, राणा अयूब को लेकर इस ट्वीट को लेकर ज्यादा निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे अक्सर किसी न किसी मसले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने में मशगूल ही रहते हैं। ऐसे में अगर वे यूपी चुनाव को लेकर इस तरह का ट्वीट करते हैं, तो हमें ज्यादा हैरान होने की जरूरत नहीं है। उधर, अगर यूपी के इतर अन्य चुनावी सूबों की बात करें, तो पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार बनाने के करीब पर पहुंच चुकी है। मणिपुर में बीजेपी बाजी मार चुकी है। गोवा में भी बीजेपी की बल्ले-बल्ले ही समझिए। लेकिन इन सभी चुनावों सूबों के बीच उत्तर प्रदेश का चुनाव कई मायनों में खास और अलहदा साबित होना प्रतीत होता है, क्योंकि 37 साल बाद ऐसा हुआ कि यूपी में कोई दल दोबारा अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही है। इससे पहले साल 1987 में एनडी तिवारी दोबारा सीएम कुर्सी पर काबिज होने में सफल रहे थे।