मुंबई। शिवसेना में मची जंग और विधानसभा में विश्वासमत प्रस्ताव आने पहले उद्धव ठाकरे को सीएम एकनाथ शिंदे के पक्ष में हुए एक फैसले ने तगड़ा झटका दिया है। उद्धव को ये झटका रविवार रात लगा। शिंदे के पक्ष में बाजी ऐसे पलटी है कि उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे और उनके साथ के 15 और विधायकों की सदस्यता भी खतरे में पड़ती नजर आ रही है। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट की अपील पर उद्धव की तरफ से बनाए गए नेता सदन अजय चौधरी और उनके व्हिप सुनील प्रभु की नियुक्ति रद्द कर दी है। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से इस बारे में 22 जून को शिंदे की अपील पर फैसला लेते हुए दोनों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं। फैसले के बाद अब एकनाथ शिंदे को शिवेसना विधायक दल का नेता बताया गया है। वहीं, भरत गोगावले को पार्टी का व्हिप माना गया है।
इस फैसले से उद्धव ठाकरे कैंप को बड़ा झटका लगा है। आज विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान अब आदित्य ठाकरे और उद्धव गुट के 15 अन्य यानी कुल 16 विधायकों को अब शिंदे कैंप की व्हिप को मानना होगा। ऐसा न करने पर उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है। हालांकि माना जा रहा है कि उद्धव गुट आज ही इस मामले में कोर्ट का रुख करेगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट पहले भी विश्वासमत रोकने की उद्धव गुट की अर्जी सुनने से इनकार कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो 11 जुलाई को ही सारी अर्जियों पर सुनवाई करेगा। बता दें कि रविवार को शिंदे गुट ने उद्धव गुट और अघाड़ी को झटका देते हुए बीजेपी के राहुल नार्वेकर को विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर चुनाव जितवा चुका है। शिंदे गुट को अध्यक्ष चुनाव में 164 वोट मिले थे। जबकि, उद्धव और अघाड़ी मिलाकर 107 वोट पड़े थे।
अब शिंदे ने जिस तरह बाजी पलटी है, उसके बाद दिल्ली में शिवसेना के सांसदों में भी टूट होने के आसार बढ़ गए हैं। पहले खबर आई थी कि शिवसेना के 19 में से 12 से 14 विधायक शिंदे के साथ खड़े हो सकते हैं। ऐसे में अगर शिंदे ने पार्टी पदाधिकारियों में सेंधमारी कर ली, तो शिवसेना का सिंबल बचाने में भी उद्धव ठाकरे को मुश्किल हो सकती है। फिलहाल सबकी नजर विधानसभा पर है और लोग ये देखना चाहते हैं कि आज विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान शिंदे और उद्धव गुट में से किसका पलड़ा भारी रहता है।