
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल में बीते दिनों समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जिक्र किए जाने के बाद से इसे लागू करने को लेकर लगातार बहस और चर्चाओं का बाजार गर्म है। लेकिन इस बीच सूत्रों के हवाले से एक बेहद बड़ी खबर सामने आ रही है रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार आगामी मानसून सत्र में यूसीसी के लिए प्रस्ताव पेश कर सकती है। जुलाई में होने वाले मानसून सत्र में संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो भारत में अभी तक जो अलग-अलग पर्सनल कानून चलते आए हैं वो एक हो जाएंगे। सभी के लिए समान तरह से कानूनी प्रक्रिया लागू की जाएगी।
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— ABP News (@ABPNews) June 30, 2023
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता विधेयक को संसद की स्थायी समिति को भेज सकती है, जो विभिन्न हितधारकों की राय मांगेगी। मानसून सत्र में यूसीसी की शुरूआत से संसद में राजनीतिक हंगामा मचने की उम्मीद है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ऊपर कांग्रेस सहित विपक्षी दल सक्रिय रूप से हमलावर रुख अपना सकते हैं।
यह बात तो हम सब जानते हैं कि समान नागरिक संहिता को लेकर आजादी के समय से ही लगातार बहस होती आई है। संविधान सभा में भी इसको लेकर तीखी बहस हुई थी। समान नागरिक संहिता का उद्देश्य भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों के व्यक्तिगत कानूनों को विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने जैसे मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक सामान्य सेट से बदलना है। समर्थकों का तर्क है कि यूसीसी को लागू करने से लैंगिक समानता, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा। जो कि भारत को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए बेहद जरूरी है।