लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग मार्च से शुरू होने की उम्मीद है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। पिछली बार यानी 2019 में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली सीट ही जीत सकी थी। यहां तक कि राहुल गांधी भी बीजेपी की स्मृति इरानी से अपना अमेठी का गढ़ लोकसभा चुनाव में हार गए थे। अब कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में हिंदुत्व और भगवान राम के साथ खड़ी होती दिख रही है। यूपी कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तय किया है कि वे 15 जनवरी को अयोध्या जाएंगे और भगवान राम के दर्शन करेंगे।
बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने न्योता भेजा है। कांग्रेस के ये दिग्गज नेता 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे या नहीं, इस बारे में पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि इसपर फैसला लिया जाएगा। वहीं, अब यूपी कांग्रेस के नए बनाए गए प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हजारों समर्थकों के साथ अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद ही यूपी कांग्रेस के नेताओं ने अयोध्या जाने का एलान किया है। इसके साथ ही बीजेपी का काउंटर करने के लिए कांग्रेस ने कदम उठाया है।
दरअसल, बीजेपी लगातार कांग्रेस को रामद्रोही ठहराती रही है। इसकी वजह ये है कि जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, उस वक्त रामसेतु को तोड़ने का मनमोहन सिंह सरकार ने इरादा बनाया था। जबकि, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने भगवान राम को काल्पनिक बताने वाला हलफनामा भी दिया था। इसके अलावा 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के तब नेता रहे (अब सपा के साथ) कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि चुनाव के नतीजे आने के बाद ही वो राम मंदिर पर फैसला सुनाए। अब कांग्रेस खुद पर इन वजहों से लगे रामद्रोही के लांछन को शायद मिटाना चाहती है। देखना ये है कि 15 जनवरी को यूपी कांग्रेस के नेताओं के अयोध्या में रामलला की शरण में जाने के बाद 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी जाते हैं या नहीं।