लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है। दरअसल यूपी के कई जिलों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना और कुछ जगह तो सपा के उम्मीदवारों को प्रस्तावक ही ना मिलना, पार्टी के लिए काफी शर्मसार वाली स्थिति रही। ऐसे में पार्टी नेतृत्व ने खराब प्रदर्शन को देखते हुए 11 जिलाध्यक्षों पर गाज गिरा दी है। बता दें कि यूपी में गोरखपुर, भदोही, गोंडा समेत 11 जिले ऐसे में हैं जहां पर समाजवादी पार्टी ने अपने जिलाध्यक्षों को कार्यमुक्त कर दिया है। वहीं जिन जिलों में सपा ने अपने जिलाध्यक्षों को बर्खास्त किया है, उनमें गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्ध नगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही, गोंडा और ललितपुर शामिल हैं। बता दें इन जिलों के जिलाध्यक्षों को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटा दिया है। पद से हटाने का आधिकारिक आदेश भी सपा की तरफ से जारी कर दिया गया है।
जिन 11 जिलों के जिलाध्यक्षों को समाजवादी पार्टी ने हटाया है, उनमें से 10 जिले ऐसे हैं, जहां सपा के उम्मीदवार पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भी नहीं कर पाए। जिसमें गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, आगरा, ललितपुर, झांसी, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, मऊ, गोरखपुर शामिल हैं। माना जा रहा है कि इसमें स्थानीय जिलाध्यक्षों की भी कमी है। जिसकी वजह से सपा प्रत्याशी नामांकन नहीं कर पाए। यही वजह है कि समाजवादी के प्रदेश अध्यक्ष ने इन जिलाध्यक्षों को पद से हटा दिया है।
इससे पहले अखिलेश यादव ने ट्वीट के माध्यम से लिखा था कि गोरखपुर व अन्य जगह जिस तरह भाजपा सरकार ने पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोका है, वो हारी हुई भाजपा का चुनाव जीतने का नया प्रशासनिक हथकंडा है। भाजपा जितने पंचायत अध्यक्ष बनायेगी, जनता विधानसभा में उन्हें उतनी सीट भी नहीं देगी। उधर राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 17 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के एक ही नामांकन हुए हैं या वैध पाए गए हैं।
सपा प्रत्याशी को नहीं मिला प्रस्तावक
वहीं उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार वंदना यादव को एक प्रस्तावक भी नहीं मिल सका। इसके कारण उनका नामांकन ही नहीं हो सका। ऐसे में वंदना यादव जिला पंचायत अध्यक्ष की लड़ाई से बाहर हो गईं। वंदना यादव इससे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष थीं।