लखनऊ। जहां एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार राशन डिलीवरी को लेकर आमने-सामने है। वहीं उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य जिसकी राशन व्यवस्था को उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है। जिसमें योगी सरकार के चार सालों में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं देखी गई। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तीसरे चरण में अन्त्योदय तथा पात्र गृहस्थी लाभार्थियों को 15 जून तक नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण कर रही है। वहीं, मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश सरकार की ओर से 20 जून से 14.79 करोड़ लाभार्थियों को तीन महीने का नि:शुल्क राशन का वितरण किया जाएगा। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी ने राशन वितरण को लेकर तैयारी के निर्देश अधिकारियों को जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि देश में इतने विशाल स्तर पर इस तरह निःशुल्क राशन का वितरण होना अपनी तरह का सबसे बड़ा अभियान होगा।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर योगी सरकार और इससे पूर्ववर्ती सरकारों में ऐसा क्या अंतर रहा कि, यूपी की राशन वितरण व्यवस्था ही बदल गई। जहां जमाखोरी, भ्रष्टाचार, राशन वितरण में जमकर होने की खबरें सामने आती थीं, वहीं बीते चार सालों में यूपी में राशन वितरण प्रणाली की साफ तस्वीर पेश हुई है। जिससे उत्तर प्रदेश की छवि भी बेहतर हुई है। अब सवाल है कि, ये सब कैसे हुआ? दरअसल इस सवाल का जवाब पाने के लिए ये भी जानना जरूरी है कि आखिर पूर्ववर्ती सरकारों की कमियां कहां थी?
दरअसल गौर करें तो उत्तर प्रदेश में राशन वितरण व्यवस्था बड़े व्यापक पैमाने पर चलती है। राज्य में 80,000 राशन की दुकानें हैं। जिसमें राज्य के 75 जिलों के 826 प्रखंडों में फैले 14.38 करोड़ राशन पाने वाले लोग हैं। इस व्यापक स्तर की वितरण व्यवस्था में यूपी की पूर्ववर्ती सरकारों ने ठीक तरीके से इसपर ध्यान नहीं दिया। राशन की दुकानों द्वारा जो खाद्यान्न लोगों को वितरित होता, उसमें लोगों को मिलने वाली मात्रा में अनियमितता पाई जाती थी। इसके अलावा खाद्यान्न का असमय आना और उसकी ट्रैकिंग ना होना भी, पारदर्शिता की कमी दर्शाता था।
इन सब कमियों के चलते पात्र लोगों को समय पर राशन मिलता ही नहीं था लेकिन साथ में सही मात्रा में भी राशन नहीं मिल पाता था। ऐसे में योगी सरकार के सामने देश के बड़े प्रदेश में बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को योगी सरकार ने सहर्ष स्वीकार किया और इस पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। योगी सरकार के पास सबसे बड़ी चुनौती तो यही थी कि, राशन पाने वालों की पात्रता को जांचना। इसके लिए 14.38 करोड़ लाभार्थियों के लिए सभी 3.5 करोड़ से अधिक राशन कार्डों की आधार सीडिंग हुई और बायोमेट्रिक के जरिए उनका सत्यापन हुआ। वहीं CSC के माध्यम से बड़े पैमाने पर आधार का प्रमाणीकरण अभियान चलाया गया। वहीं प्रदेश की सभी 80000 राशन की दुकानों को इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल मशीन (ईपीओएस) से लैस किया गया और लेनदेन को बायोमेट्रिक्स द्वारा मान्य किया गया।
इसके अलावा फरवरी 2020 तक 93 फीसदी लोगों का आधार सत्यापन कर लिया गया था। आज की स्थिति तक यूपी में 97% से अधिक पीडीएस लेनदेन आधार सत्यापन के माध्यम से होते हैं। यूपी में राशन वितरण को लेकर एक और समस्या थी और वो ये कि ‘खाद्यान ले जाने के दौरान अनाज की बर्बादी। ऐसे में योगी सरकार ने तकनीक का इस्तेमाल किया। खाद्यान्न ले जाने वाले जीपीएस सक्षम वाहनों पर ट्रैकिंग सिस्टम स्थापित किया गया। और रास्ते के डाइवर्जन और संदिग्ध ठहरावों की निगरानी के लिए लखनऊ में कमांड सेंटर स्थापित किया गया।
ऐसे में योगी सरकार द्वारा किए गए कई बेहतर बदलावों के चलते सही लोगों को सही मात्रा में राशन मिलना संभव हुआ। योगी सरकार के अभियान में यूपी में 25 लाख फेक राशन कार्ड हटाए गए। आधार सीडिंग और ईपीओएस आधारित राशन वितरण से यूपी ने 1600 करोड़ बचाए। वहीं अब राशन दुकान मालिक किसी लाभार्थी को उसे मिलने वाले खाद्यान्न की मात्रा छेड़छाड़ नहीं कर सकता।
How @mYogiAdityanath Govt overhauled UP’s leaking PDS/Ration system using technology ?? and grit ✊ in last 4 years
Read my piece in TOI & this twitter thread on how Ration system was transformed in Uttar Pradesh – https://t.co/068qkhkJSE (1/n) pic.twitter.com/nuoNj83gy2
— Shantanu Gupta (@shantanug_) June 7, 2021
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का फायदा ये रहा कि, अब सही लाभार्थी को सही कीमत पर सही मात्रा में राशन मिले। डिजिटलीकरण के चलते खाद्यान्नों का जल्दी वितरण करना संभव हुआ है। और इसके नाते लोगों की कम से कम कतारें भी लगती हैं। मालूम हो कि जिस तरह से योगी सरकरा राशन वितरण व्यवस्था को बेहतर ढंग से अपनाकर सही लोगों को सही मात्रा में राशन उपलब्ध कराया है, वो दूसरे राज्यों के लिए स्वत: उदाहरण है।