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Himachal Pradesh: हिमाचल की उर्मिला ने PM मोदी को लिखी ऐसी चिट्ठी, जानकर आपका भी दर्द उमड़ पड़ेगा

Himachal Pradesh: उर्मिला ने चिट्ठी में लिखा है कि महंगाई के इस दौर में क्या कोई 87 रुपए रोज की मजदूरी पर खुद और परिवार का पेट पाल सकता है ? जबकि, इतने रकम में तो खाने का तेल भी नहीं मिलता। उन्होंने चिट्ठी की एक प्रति केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्री को भी भेजी है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश का सिरमौर जिला टूरिस्ट की पसंदीदा जगहों में से एक है, लेकिन यहां की उर्मिला रावत का दुख शायद ही कोई टूरिस्ट जानता हो। उर्मिला ने अब पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी दुखभरी कहानी भेजी है। इसी सुनकर आपकी आंखें भी जरूर छलक जाएंगी। उम्मीद है कि पीएम मोदी इस चिट्ठी को पढ़ने के बाद उर्मिला की तरफ मदद का हाथ जरूर बढ़ाएंगे। सिरमौर जिले के संगड़ाह उपमंडल में सांगना गांव है। इसी गांव के सरकारी स्कूल में उर्मिला मिड डे मील बनाती हैं। उन्होंने मोदी को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि पिछले 16 साल से वह मिड डे मील बना रही हैं। इसके एवज में हर रोज 87 रुपए का भुगतान उन्हें किया जाता है।

Urmila

उर्मिला ने चिट्ठी में लिखा है कि महंगाई के इस दौर में क्या कोई 87 रुपए रोज की मजदूरी पर खुद और परिवार का पेट पाल सकता है ? जबकि, इतने रकम में तो खाने का तेल भी नहीं मिलता। उन्होंने चिट्ठी की एक प्रति केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्री को भी भेजी है। उर्मिला ने चिट्ठी में लिखा है कि स्कूल में पढ़ाने वाले टीचरों को महीने में 60 से 70 हजार रुपए तनख्वाह मिलती है, लेकिन मिड डे मील बनाने वालों को महीने के महज 2600 रुपए ही दिए जाते हैं। इतने कम पैसे में सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक उर्मिला को स्कूल में काम करना होता है।

PM Narendra Modi

उन्होंने लिखा है कि उनके जैसे मिड डे मील बनाने वाले वर्कर्स की तनख्वाह कम से कम 15 हजार रुपए की जानी चाहिए। उर्मिला रावत ने उम्मीद जताई है कि पीएम मोदी इस बारे में कोई न कोई कदम जरूर उठाएंगे। बता दें कि मिड डे मील बनाने वालों को भोजन की पौष्टिकता का ध्यान रखना होता है। साथ ही साऱ-सुथरे वातावरण में भोजन पकाना होता है। उनका पका भोजन पहले टीचर चखकर देखते हैं। इसके बाद ही बच्चों को भोजन दिया जाता है।