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Russia-Ukraine Crisis: भारत ने रूस के खिलाफ नही किया वोट तो तिलमिलाया अमेरिका, देखिए क्या कह रहा है

Russia-Ukraine Crisis: एक्सपर्ट्स का मानना है पाबंदी लगाने के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन पर दबाव बढ़ सकता है कि वे भारत पर क्या स्टैंड अपनाते हैं? हालांकि, भारत के खिलाफ कोई भी एक्शन लेने से पहले उन्हें यह देखना होगा कि हिंद महासागर में चीन को संतुलित करने के लिए भारत ही अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है, और भारत की महत्ता को देखते हुए ही जो बिडेन को कोई फैसला लेना होगा।

नई दिल्ली। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण से पश्चिमी देशों में बैचेनी साफ देखी जा सकती है। रूस के खिलाफ कड़ी निंदा के प्रस्ताव के रूप में यूएनएससी (UNSC) में अब तक तीन बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन भारत तीनों ही बार वोटिंग से बाहर रहा है। भारत ने अबतक इस मुद्दे पर जो रुख दिखाया है, उसकी प्रशंसा सभी हलकों में की जा रही हैं। हालांकि, भारत की इस गुटनिरपेक्ष नीति के चलते अमेरिका अब बिलबिला उठा है। उसके यहां संसद में भारत के इस रुख की जमकर आलोचना की जा रही है। क्या रिपब्लिकन और क्या डेमोक्रेट्स, सभी भारत को कोसने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अमेरिकी राजनीतिज्ञों, कूटनीतिज्ञों एवं बड़े-बड़े थिंक टैंक्स के बीच ये माथापच्ची चल रही है कि भारत के साथ अब किस तरह के रिश्तों को कायम किया जाए?

FILE PHOTO: U.S. President Joe Biden delivers remarks about Afghanistan, in Washington

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पर बढ़ सकता दबाव

आपको बता दें कि यूएनएससी में भारत द्वारा अपनाए गए रुख पर अमेरिकी सांसदों ने वहां की संसद की बहस में भाग लेते हुए भारत-अमेरिका रक्षा सुरक्षा सहयोग का जिक्र बार-बार किया है और यह सवाल भी पूछा है कि क्या आक्रमणकारी रूस पर भारत का रुख जानने के बाद उस पर एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम रूस से खरीदने के लिए काटसा के तहत पाबंदिया लगाई जाएंगी? एक्सपर्ट्स का मानना है पाबंदी लगाने के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन पर दबाव बढ़ सकता है कि वे भारत पर क्या स्टैंड अपनाते हैं? हालांकि, भारत के खिलाफ कोई भी एक्शन लेने से पहले उन्हें यह देखना होगा कि हिंद महासागर में चीन को संतुलित करने के लिए भारत ही अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है, और भारत की महत्ता को देखते हुए ही जो बिडेन को कोई फैसला लेना होगा।

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काटसा के तहत प्रतिबंध पर क्या बोले अमेरिकी कूटनीतिक लु 

अमेरिकी कूटनीतिक लु ने कहा कि बिडेन प्रशासन पर दबाव तो बढ़ गया है, लेकिन उसने अभी पाबंदियों को लेकर आखिरी फैसला नहीं लिया है। उन्होंने आगे कहा, ‘मैं बस यही कह सकता हूं कि भारत हमारा महत्वपूर्ण सुरक्षा साझेदार है और हम साझेदारी के साथ ही आगे बढ़ने को महत्व देते हैं।’ दरअसल, बिडेन प्रशासन की चिंता यह है कि चीन से संतुलन साधने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत से बड़ा क्षेत्रीय ताकत कोई नहीं है। यही कारण है कि अमेरिका अबतक काटसा के तहत लगने वाली पाबंदियों को टालता रहा है।

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अतीत में रूस ने भारत का दिया है साथ 

आपको बता दें कि बुधवार को हुई यूएनएससी वोटिंग में भारत समेत 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। भारत द्वारा अपनाए गए इस रुख का कारण अतीत में रूस द्वारा भारत का साथ देना रहा है। इससे पहले अतीत में देखें तो भारत के खिलाफ सुरक्षा परिषद में आए प्रस्तावों पर रूस ने छह बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया था जबकि अमेरिका ने हर बार भारत का विरोध किया था। भारत इस बात को भूला नहीं है और यही कारण है कि भारत भी आज रूस को अघोषित तौर पर मदद कर रहा है।