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Helicopter Crash: चॉपर क्रैश के बाद भी चल रही थी विपिन रावत की सांसें, धीमी आवाज में बताया अपना नाम, बचाने वाले ने सुनाई पूरी कहानी

Helicopter Crash: सेना के हेलिकॉप्टर के दुर्घनाग्रस्त होने की जानकारी जैसे ही लोगों को लगी मानों सभी की धड़कनें रूक सी गई थी। हर कोई बस यहीं प्रार्थना कर रहा था कि हेलिकॉप्टर में मौजूद बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत अन्य 11 लोग सुरक्षित हो और उन्हें बचाया जा सके लेकिन कहते हैं न होनी को कोई नहीं रोक सकता। इस दर्दनाक हादसे ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए गम का माहौल बना दिया।

नई दिल्ली। तमिलनाडु के कुन्नूर में बीते दिन सेना का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इस हादसे में देश ने अपने सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत भी शामिल थीं। सेना के हेलिकॉप्टर के दुर्घनाग्रस्त होने की जानकारी जैसे ही लोगों को लगी मानों सभी की धड़कनें रूक सी गई थी। हर कोई बस यहीं प्रार्थना कर रहा था कि हेलिकॉप्टर में मौजूद बिपिन रावत उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत अन्य 11 लोग सुरक्षित हो और उन्हें बचाया जा सके लेकिन कहते हैं न होनी को कोई नहीं रोक सकता। इस दर्दनाक हादसे ने देश ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए गम का माहौल बना दिया।

bipin rawat

वहीं एक मामले से जुड़ी एक और जानकारी सामने आ रही है। दावा किया जा रहा है कि हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद सीडीएस जनरल बिपिन रावत जिंदा थे। हालांकि उनके शरीर का निचला हिस्सा जल चुका था लेकिन वो बावजूद इसके अपना नाम बताने में सक्षम थे। बचाव दल में शामिल वो शख्स जो कि चॉपर के बिखरे पड़े मलबे के पास पहुंचा सबसे पहले पहुंचा था उसका कहना था कि ‘हमने 2 लोगों को जिंदा बचाया, जिनमें से एक सीडीएस बिपिन रावत थे। उन्होंने धीमी आवाज में अपना नाम बताया। उनकी मौत अस्पताल जाते वक्त रास्ते में हुई। हम उस वक्त जिंदा बचाए गए दूसरे शख्स की पहचान नहीं कर सके।’


बचावकर्मी के मुताबिक, सीडीएस जनरल बिपिन रावत के शरीर का निचला हिस्सा बुरी तरह से जल चुका था। उन्हें बचाने के लिए बेडशीट में लपेट कर एंबुलेंस में ले जाया गया। जो राहत टीम वहां पहुंची थी उन्होंने ये भी जानकारी दी कि जलते विमान के मलबे को बुझाने के लिए फायर सर्विस इंजन घटना स्थल तक ले जाया जा सके इसके लिए भी वहां सड़क नहीं थी। वो आसपास के घरों और नदियों से पानी लाकर ही हेलिकॉप्टर की आग को बुझाने की कोशिश कर रहे थे।

helicaptor

दुर्घटनास्थल के पास पेड़ होने से बचाव कार्यों में देरी

घटना में लगे बचावकर्मी की मानें तो, जहां ये घटना घटी वहां काफी पेड़ और घना एरिया होने के कारण भी बचाव कार्यों में परेशानी का सामना करना पड़ा। बचावकर्मियों को इस दौरान 12 लोगों की डेड बॉडी मिली थी जबकि 2 लोगों को जिंदा बचाया गया लेकिन वो काफी बुरी तरह से झुलसे हुए थे।