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Rajasthan Assembly Election: ‘स्थानीय स्तर पर मत देखिए कौन है, मैं ही 200 जगह से चुनाव लड़ रहा हूं’, क्या इस वजह से अशोक गहलोत ने दिया ये बयान?

राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। चुनाव प्रचार कल यानी 23 नवंबर की शाम 5 बजे से थम जाएगा। इससे ठीक पहले कांग्रेस के उम्मीदवार और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का एक बयान आया है। गहलोत के इस बयान का बहुत खास मतलब है।

जयपुर। राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। चुनाव प्रचार कल यानी 23 नवंबर की शाम 5 बजे से थम जाएगा। इससे ठीक पहले कांग्रेस के उम्मीदवार और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का एक बयान आया है। गहलोत ने यह बयान क्यों दिया, ये तो वही बता सकते हैं, लेकिन उनके बयान से साफ हो रहा है कि खुद को ही वो कांग्रेस का मुख्य चेहरा बता रहे हैं। अशोक गहलोत ने ताजा बयान में कहा है कि राजस्थान की जनता ये न देखे कि स्थानीय स्तर पर कौन चुनाव लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी 200 सीटों पर जनता ये समझे कि मैं ही चुनाव लड़ रहा हूं। अशोक गहलोत ने इसके बाद कहा कि उनके सीएम रहते कई कानून पास हुए। कांग्रेस की सरकार राजस्थान में योजनाएं लेकर आई। गहलोत ने कहा कि जनता को समझना चाहिए कि कौन उनका भला करने वाला है। सुनिए अशोक गहलोत का बयान।

दरअसल, राजस्थान में बीते 30 साल का रिकॉर्ड ये है कि कोई भी पार्टी दोबारा सरकार नहीं बना पाती। इसके अलावा इस बार चुनाव में अशोक गहलोत की सरकार के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। पेपर लीक कांड हो या जल संबंधी योजना या फिर जयपुर में लॉकरों से करोड़ों रुपए निकलना, सभी की आंच कांग्रेस और अशोक गहलोत की सरकार की तरफ जा रही है। यहां तक कि अशोक गहलोत के बेटे वैभव से भी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने पूछताछ की है। वहीं, सचिन पायलट की भी चुनौती है। शायद यही सबकुछ देखते हुए अशोक गहलोत ने ताजा बयान में राजस्थान की जनता से आग्रह किया है कि वो उनको ही हर जगह प्रत्याशी मानते हुए एक बार फिर राज्य में कांग्रेस की सरकार को रिपीट कर दे।

ashok gehlot and sachin pilot

अशोक गहलोत के खिलाफ 2020 में सचिन पायलट ने मोर्चा खोला था। सचिन पायलट कई समर्थक विधायकों के साथ मानेसर में जाकर बैठ गए थे। तब बड़ी मुश्किल से उनको कांग्रेस आलाकमान यानी गांधी परिवार के लोगों ने समझाया था। फिर 25 सितंबर 2022 को गहलोत समर्थक विधायकों  ने कांग्रेस आलाकमान के भेजे गए दूत अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे के सामने बगावती तेवर दिखाए थे। अशोक गहलोत के पक्ष वाले विधायकों ने माकन और खरगे के सामने साफ कह दिया था कि किसी सूरत में वे सचिन पायलट को बतौर सीएम नहीं देखना चाहते। इन विधायकों ने सामूहिक तौर पर इस्तीफे तक की धमकी दे दी थी। इसके बाद पेपर लीक कांड का मुद्दा उठाकर सचिन पायलट जयपुर में गहलोत सरकार के खिलाफ धरने पर भी बैठ गए थे। फिर राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली बुलाकर एक बार फिर समझौता कराया। उससे पहले अशोक गहलोत ने पायलट के लिए बड़ा वाला कोरोना और गद्दार जैसे बयान भी दिए। हालांकि, अब दोनों ही कह रहे हैं कि कोई अदावत नहीं है और वे मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।